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mahila bhi ho sakti hai it digag


रुचि सांघवी उस कंप्यूटर इंजीनियर का नाम है, जिन्होंने फेसबुक को केवल आगे बढ.ते हुए नहीं देखा, बल्किउसमें महत्वपूर्ण भूमिका भी निभायी है. पुणे की रहनेवाली रु चि फेसबुक से उस समय जुड.ीं, जब उन्हें कोई नहीं जानता था.

23 वर्षीय रुचि ने अपनी करियर की शुरुआत 2005 में फेसबुक के साथ की. वह शुरुआत के दस इंजीनियर में अकेली लड.की थी. सिर्फ पांच साल के फेसबुक करियर में उन्होंने कंपनी को दुनिया की सबसे बड.ी सोशल नेटवर्किंग साइट बनते हुए देखा
अपने पिता की कंपनी से न जुड. कर रुचि खुद की अलग पहचान बनाना चाहती थी. अपने इस लक्ष्य का पीछा करते हुए उन्होंने अमेरिका जाकर कार्नेज मेलन यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. सिलिकन वैली कहे जानेवाले अमेरिकी आइटी सेक्टर में शानदार कामयाबी हासिल करनेवाली रु चि बताती हैं कि जब उन्होंने इंजीनियरिंग करने की सोची, तो उन्हें काफी विरोध झेलना पड.ा. इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के 150 छात्रों की क्लास में रुचि समेत सिर्फ पांच लड.कियां थीं. अमेरिका जैसे देश में अपनी मेहनत के बल पर पुरु षों के अधिकार क्षेत्र में सेंध लगायी और कामयाबी भी हासिल की.

नयी शुरुआत

2010 में रु चि ने फेसबुक छोड. कर अपना खुद का काम करने का फैसला किया. फेसबुक में लीड प्रोडक्ट मैनेजर के पद को छोड. उन्होंने खुद की कंपनी ‘कोव’ शुरू की. फरवरी 2012 में कोव को ड्रॉपबॉक्स नामक कंप्यूटर डेटा शेयरिंग कंपनी ने खरीद लिया. रुचि इस कंपनी की उप-निदेशक हैं. उनका कहना है कि कई लोग सोचते हैं कि कोई भी लड.की बिल गेट्स और स्टीव जॉब्स जैसी नहीं बन सकती, लेकिन वे गलत हैं.

पसंद आयी तरकीब : फेसबुक संस्थापक जुकरबर्ग और उनके साथी यूजर को साइट पर इंगेज करने के लिए जब आइडिया ढ.ूंढ रहे थे, तभी रुचि ने उन्हें तरकीब सुझायी. उन्होंने कहा कि क्यों न हम एक न्यूज पेपर जैसा फीचर बनायें, जैसे न्यूजपेपर में हम लगातार पेज पलटते जाते हैं और एक कहानी से दूसरी कहानी पर पहुंच जाते हैं, ऐसा ही फीचर बनाना होगा, जिसमें यूजर लगातार उलझा रहे. मार्क को रुचि का यह आइडिया पसंद आ गया. रु चि और उनके साथियों ने 2006 में न्यूज फीड लांच किया, जिसने बाद के सालों में फेसबुक की किस्मत बदल दी. रुचि ने कहा कि मैंने अपने पापा से वादा किया था कि मैं 25 साल की उम्र में शादी कर लूंगी, क्योंकि भारत में लड.की की शादी की यही सही उम्र है और 50 साल में उसे दादी भी बन जाना होता है.महिलाएं इस क्षेत्र से जुडे.ं

रुचि कहती हैं कि इंजीनियरिंग को लेकर लोगों की सोच बदली है और हाल के सालों में इस पेशे में काफी विविधता आयी है. अब यह कंपनी पहले जैसी नहीं रही. सिलिकन वैली में अब कंपनियां महिला और पुरुषों को एक जैसी सुविधाएं दे रही हैं ताकि वे काम और निजी जीवन के बीच आसानी से संतुलन कायम कर सकें . बच्चों की देखभाल के लिए छुट्टियां, काम की लचीली शिफ्ट और दफ्तर में बच्चों की देखभाल की सुविधाएं खासी फायदेमंद हैं credit prabhat khabar 
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