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भारत रत्‍न डॉ0 सी. एन. आर. राव (CNR Rao)
 monday November 17, 2013




(04 फरवरी, 2014 को भारत के राष्‍ट्रपति डॉ. राव को 'भारत रत्‍न' से सम्‍मानित करते हुए)


भारत के सी वी रमन और पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम के बाद तीसरे वैज्ञानिक हैं, जिनके नाम के साथ यह सम्‍मान जुड़ रहा है।
मशहूर रसायन विज्ञानी प्रोफेसर सीएनआर राव देश के सबसे बड़े सम्मान भारत रत्न से सम्‍मानित किए जाएंगे। सॉलिड स्टेट और मैटेरियल केमिस्ट्री के विशेषज्ञ प्रोफेसर राव

जन्‍म एवं शिक्षा:
डॉ0 चिंतामणि नागेश रामचंद्र राव (Dr. Chintamani Nagesh Ramchandra Rao) अपने माता-पिता की इकलौती संतान हैं। उनका जन्‍म 30 जून 1943 को बंगलुरू के एक कन्‍नड़ परिवार में हुआ था। उनकी बचपन से ही विज्ञान में गहरी रूचि थी। वे नोबेल पुरस्‍कार विजेता वैज्ञानिक सी वी रमन से बहुत प्रभावित थे। अपनी पढाई के दौरान उन्‍होंने अपने अध्‍यापक की मदद से रमन से मिलने में कामयाब हुए। वे उनकी प्रयोगशाला देखकर बहुत प्रभावित हुए और आगे चलकर विज्ञान के क्षेत्र में कुछ करके दिखाने की प्रेरणा प्राप्‍त की।

राव ने 1951 में मैसूर विश्‍वविद्यालय Mysore University से स्‍नातक की डिग्री प्राप्‍त की। उसके बाद उन्‍होंने बनारस हिन्‍दू विश्‍वविद्यालय (BHU) में एम.एस-सी. में प्रवेश लिया और सन 1953 में उसे शानदार तरीके से उत्‍तीर्ण किया। उसके बाद उन्‍होंने यू.एस.ए. के पुरड्यू विश्‍वविद्यालय (Purdue University) में पी-एच0डी0 में प्रवेश लिया। वहां पर उन्‍होंने नोबेल विजेता एच.सी. ब्राउन के मार्गदर्शन में स्‍पेक्‍ट्रोस्‍कोपी में शोध कार्य किया, जिसके लिए उन्‍हें 1958 में पी-एच.डी. की डिग्री प्रदान की गयी।

विज्ञान सेवा:
डॉ0 राव ने अपनी शोध यात्रा 1963 में इंडियन इंस्‍टीट्यूट ऑफ टेक्‍नालॉजी, कानपुर (Indian Institute of Technology Kanpur) से फैकल्‍टी मेम्‍बर के रूप में शुरू की। सन 1984 में वे इंडियन इंस्‍टीट्यूट ऑफ साइंस, बंगलुरू (Indian Institute of Science) के निदेशक चुने गये। वहां पर उन्‍होंने 1994 तक अपनी सेवाएं दीं।

डॉ0 राव का शोधकार्य 'सॉलिड स्‍टेट केमिस्‍ट्री' (Solid State Chemistry) से सम्‍बंधित है। उन्‍होंने स्‍पेक्‍ट्रम विज्ञान के उन्‍नत उपकरणों के माध्‍यम से ठोस पदार्थों की भीतरी संरचनाओं पर कार्य किया। इसके अतिरिक्‍त उन्‍होंने सूक्ष्‍मदर्शी स्‍तर पर ठोसों में होने वाली प्रक्रियाओं को समझा और उनसे सम्‍बंधित रिसर्च पेपर लिखे। उन्होंने पदार्थ के गुणों और उनकी आणविक संरचना के बीच बुनियादी समझ विकसित करने में अहम भूमिका निभाई है।

डॉ0 राव ने अपने शोध कार्यों के लिए इंस्‍टीटयूट में अपनी प्रयोगशाला बनाई और अपने ज्‍यादातर शोध कार्य उसी में सम्‍पन्‍न किये। उनका मानना है कि ''वास्‍तव में विज्ञान का अध्‍ययन और परीक्षण उसके परिणामों से अधिक रोचक है।''

श्री राव वर्तमान में भारत के प्रधानमंत्री की वैज्ञानिक सलाहकार परिषद (Scientific Advisory Council) के प्रमुख है। इसके साथ ही साथ वे इंटरनेशनल सेंटर फॉर मैटीरियल्‍स साइंस (International Centre for Materials Science (ICMS) के निदेशक भी हैं। वे पुरड्यू विश्‍वविद्यालय (Purdue University), आक्‍सफोर्ड विश्‍वविद्यालय (Oxford University), कैम्ब्रिज विश्‍वविद्यालय (Cambridge University) और कैलिफोर्निया विश्‍वविद्यालय (California University) के विजिटिंग प्रोफेसर रह चुके हैं। इसके अतिरिक्‍त वे जवाहर लाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्‍ट साइंटिफिक रिसर्च (Jawaharlal Nehru Centre for Advanced Scientific Research) के संस्‍थापक निदेशक भी रहे हैं।

 पुरस्‍कार/सम्‍मान:
डॉ0 राव न सिर्फ केवल प्रतिष्ठित रसायनशास्त्री हैं बल्कि उन्होंने देश की वैज्ञानिक नीतियों के निर्धारण में भी महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई है। वे देश के मंगल अभियान से भी सम्‍बद्ध रहे हैं। उन्‍होंने लगभग 1500 शोध पत्र और 45 किताबें लिखी हैं।

डॉ0 रा0 की योग्‍यता को देखते हुए उन्‍हें 1964 में इंडियन एकेडमी ऑफ साइंसेज का सदस्य नामित किया गया। सन 1967 में उन्‍हें फैराडे सोसाइटी ऑफ इंग्लैंड से मार्लो मेडल प्राप्‍त हुआ। सन 1968 में प्रो0 राव को भटनागर अवार्ड से सम्‍मानित किया गया।

डॉ0 राव को सन 1988 में जवाहरलाल नेहरू अवार्ड प्राप्‍त हुआ। वे सन 1999 में इंडियन साइंस कांग्रेस के शताब्दी पुरस्कार से सम्मानित किये गये। वर्ष 2000 में उन्‍हें रॉयल सोसायटी (Royal Society) ने 'ह्यूग्‍स मेडल' (Hughes Medal) देकर सम्‍मानित किया। वे भारत सरकार द्वारा प्रारम्‍भ किये गये 'इंडियन साइंस अवार्ड' (India Science Award) के पहले विजेता बने। यह पुरस्‍कार उन्‍हें वर्ष 2004 में प्राप्‍त हुआ।

इसके अतिरिक्‍त डॉ0 राव को वर्ष 2005 में डैन डेविड फाउंडेशन (Dan David Foundation), तेल अवीव विश्‍वविद्यालय (Tel Aviv University) से 'डैन डेविड प्राइज' (Dan David Prize), फ्रांस सरकार द्वारा 'नाइट ऑफ द लीगन ऑफ ऑनर' सम्‍मान (Knight of the Legion of Honour), वर्ष 2008 में अब्‍दुस सलाम मेडल (Abdus Salam Medal), वर्ष 2013 में चाइनीस एकेडमी ऑफ साइंस (Chinese Academy of Sciences-CAS) का सर्वश्रेष्‍ठ साइंटिस्‍ट अवार्ड और आईआईटी, पटना (IIT Patna) से 'डिस्‍टिंग्युस्‍ड एकेडमीसियन अवार्ड' (Distinguished academician awar) प्राप्‍त हो चुके हैं।

उनकी योग्‍यताओं और देशसेवा के लिए उन्‍हें भारत सरकार ने सन 1974 में पदमश्री और सन 1985 में पदमविभूषण से भी सम्मानित किया। इसके अतिरिक्‍त कर्नाटक सरकार भी उन्‍हें 'कर्नाटक रत्न' की उपाधि प्रदान कर चुकी है।

डॉ0 राव देश-विदेश की दो दर्जन से अधिक शैक्षिक संस्‍थाओं/विश्‍वविद्यालयों में विजिटिंग प्रोफेसर रह चुके हैं। उनकी असाधारण योग्‍तयता को दृष्टिगत रखते हुए उन्‍हें मैसूर विश्‍वविद्यालय (Mysore University) ने सन 1961 में तथा कलकत्ता विश्‍वविद्यालय (Calcutta University) in वर्ष 2004 में 'डॉक्‍टर ऑफ साइंस' की मानद उपाधि से सम्‍मानित किया। इसके साथ ही उन्‍हें देश-विदेश के 60 विश्‍वविद्यालयों/ शैक्षिक संस्‍थानों ने डॉक्‍टरेट की मानद उपाधि प्रदान की है, जिनमें ऑक्‍सफोर्ड विश्‍वविद्यालय (Oxford University), अलीगढ मुस्लिम विश्‍वविद्यालय (Aligarh Muslim University) आईआईटी खडगपुर (IIT Kharagpur) के नाम प्रमुख हैं।

देश-विदेश की 50 से अधिक वैज्ञानिक संस्‍थाओं से मानद सदस्‍य डॉ0 राव एक देशप्रेमी वैज्ञानिक हैं। उन्‍हें विदेश के अनेक संस्‍थानों ने बड़े-बड़े प्रलोभन दिये, पर उन्‍होंने उन सबको ठुकराकर भारत में ही रहते हुए देश सेवा का व्रत लिया। वे वास्‍तव में भारत के रत्‍न हैं। उनको 'भारत रत्‍न' सम्‍मान प्रदान किये जाने की घोषणा से हर भारतवासी अह्लादित है।
 sabhar : science blggerasssocition

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