मंगल की धरती पर साल 2021 में उतरने वाला नासा का रोवर वहां ऑक्सीजन बनाने की कोशिश करेगा.
यह आलेख बी बी सी से साभार लिया गया है।
यह रोवर सात वैज्ञानिक परीक्षण करेगा जिनका उद्देश्य भविष्य में मंगल पर मानव को भेजने के लिए रास्ता तैयार करना, जीवन की मौजूदगी के सबूत ढूंढना और वापस लाने के लिए चट्टान के नमूने इकट्ठे करना होगा.
ये ऑक्सीजन वहां मानव जीवन या वापस आने वाले अभियान में मददगार हो सकती है.मंगल पर भारी मात्रा में मौजूद कार्बन डाईऑक्साइड को ऑक्सीजन में बदलने वाला उपकरण भी इन्हीं परीक्षणों में से एक है.
इस रोवर के ज़रिए 40 किलो वज़नी उपकरण मंगल पर भेजे जाएंगे, जिनमें दो कैमरे और मौसम परीक्षण संबंधी उपकरण शामिल हैं.
वाशिंगटन डीसी में क्लिक करेंमार्स 2020 मिशन की घोषणा करते हुए नासा के प्रशासकीय अधिकारी जॉन ग्रंस्फ़ेल्ड ने कहा, "यह हमारे लिए एक रोमांचक दिन है."
कम उपकरण
एक टन के इस रोवर पर करीब 1.9 अरब डॉलर का ख़र्च आएगा. इसे अगस्त 2012 में मंगल पर पहुंचे क्यूरियॉसिटी रोवर की तर्ज़ पर ही बनाया जा रहा है.
हालांकि इस पर क्यूरियॉसिटी के मुक़ाबले कम उपकरण भेजे जाएंगे. जो जगह बचेगी उसका इस्तेमाल मंगल की चट्टानों के नमूने इकट्ठा करने के लिए किया जाएगा.
नासा को उम्मीद है कि भविष्य में मंगल से वापस आने वाली उड़ानों पर इन्हें साथ लाया जा सकेगा.
नासा के मौजूदा अंतरिक्ष यान भी ऑक्सीजन का निर्माण कर सकते हैं लेकिन नए 'मॉक्सी अपकरण' इस क्षमता का मंगल ग्रह के वातावरण में पहली बार परीक्षण करेगा.
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