Skip to main content
 साहित्य अकादमी दिल्ली द्वारा  दो दिवसीय 'उत्तर-पूर्व एवं उत्तरी लेखक सम्मेलन' मिथिलांचल में आयोजित  
वन न्यूज़  वेब टीम/
 राम बालक राय   
साहित्यिक कार्यक्रम. साहित्य अकादमी ने आयोजित किया सम्मेलन
साहित्य अकादमी दिल्ली की ओर से आयोजित दो दिवसीय 'उत्तर-पूर्व एवं उत्तरी लेखक सम्मेलन' अंतिम दिन रविवार को संपन्न हुआ।  प्रथम सत्र में  'समकालीन साहित्य की प्रवृत्तियां' विषय पर विमर्श हुआ. ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा के वाणिज्य एवं प्रबंधन विभाग में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता चर्चित लेखक रामवचन राय ने किया। उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि साहित्य में एक ही समय कई प्रवृत्तियां आती हैं. समाज की जीवन-धारा साहित्य को प्रभावित करती है. साहित्यकार समय की धड़कन समझते हैं. वह भोक्ता होते हैं. समाज की चीजों को आत्मसात करते हैं,
 साहित्य सामाजिक  जीवन-धाराको प्रभावित करती है: राम वचन राय 
साहित्यकार समय की धड़कन समझते हैं. साथ ही सामाजिक पर्यावरण को आत्मसात करते हैं,उसे पचाते हैं, तथा उसे अपने  अनुभव का अंग बनाते  है. यही कविता, कथा, उपन्यास आदि साहित्यिक विधाओं के रूप में सामने आता है. समय के हिसाब से ही जीवन पद्धतियां होती हैं. कला व साहित्य के समक्ष बड़ी चुनौतियां हैं. साहित्य की भूमिका सदा प्रतिपक्ष की रही है. इस रूप में यह वर्तमान का विश्लेषण करती है. आज साहित्य की प्रमुख प्रवृत्ति दलित विमर्श, स्त्री विमर्श, संघर्ष, भूख, गरीबी आदि के रूप में उभरी है.
इस सत्र में गुवाहाटी से आईं रीतामणि वैश्य ने पूर्वोत्तर की भाषाओं की प्रवृतियों पर विचार रखा. कहा कि पूर्वोत्तर में लगभग 150 भाषाएं और बोलियां हैं. इनमें बहुत सारी भाषाएं अलिखित हैं.
कई भाषाएं की अपनी लिपि नहीं होने के कारण  दूसरी लिपि में लिखी जा रही है.
यह लेखन-समस्याओं का कारण भी बन रही है. उन्होंने असम, मिजोरम, त्रिपुरा, सिक्किम सहित पूर्वोत्तर के विभिन्न भाषाओं में हो रहे लेखन के विषय-वस्तु को रखते हुए उनकी प्रवृत्तियों का रेखांकन किया. कमल मोहन चुन्नू ने भारत और नेपाल के मिथिला क्षेत्र में रचे जा रहे मैथिली साहित्य की प्रवृतियों को विस्तार से रखा. कविता, कथा, उपन्यास, नाटक आदि में दलित विमर्श,
स्त्री विमर्श, विक्षोभ, लोकपाल, आरक्षण, विद्रूप शहरीकरण सहित मैथिली में सम- सामायिक  लेखन की तमाम प्रवृतियों को सामने रखकर विचार किया. अब्दुल मन्नान तरजी ने लंबी ग़ज़ल रचना के माध्यम से अपने विचार रखे. उन्होंने एक ही ग़ज़ल में जीवन के सभी पहलू को उपस्थित कर श्रोताओं का दिल जीत लिया. कार्यक्रम का समापन अतिथि साहित्यकारों का पाग-चादर से अभिनंदन तथा विदा-गीत समदाउन के साथ हुआ.
सारा लोहा उन लोगों का अपनी केवल धार: दरभंगा. 'अपना क्या है इस जीवन में सब तो लिया उधार, सारा लोहा उन लोगों का अपनी केवल धार', साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित कवि अरुण कमल ने जब अपनी कविता की इन पंक्तियों को रखा तो पूरा हाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. उन्होंने 'धार' शीर्षक की अपनी इस कविता के माध्यम से संदेश दिया कि व्यक्ति के निर्माण में पूरे समाज और परिवार की महती भूमिका होती है. असलीहत में उसका अपना कुछ भी नहीं होता. वे कविता पाठ सत्र में अध्यक्षीय काव्य पाठ कर रहे थे.
मिथिला शोध संस्थान के निदेशक डॉ देवनारायण यादव ने भी भाषा की बिविधता पर अपने विचार रखे।
उन्होंने 'घोषणा' शीर्षक कविता भी पढ़ी जो काफी सराही गई. इस सत्र में कासिंद संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ देवनारायण झा ने अपनी संस्कृत रचना में सहृदय कवि-साहित्यकार पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी को केंद्र में रखकर राष्ट्र की गाथा कही.
वहीं राजस्थानी के कवि मीठेश निर्मोही ने 'दादी', 'बुरे संस्कार' एवं 'दीवार' शीर्षक कविता का पाठ किया. बंटवारे के कारण घरों में खड़ी होती दीवारें अपने नीचे संवेदनाओं व संबंधों को भी दफन कर लेती हैं, इसका उन्होंने बड़ा ही मार्मिक चित्रण किया. मैथिली के अजित कुमार आजाद ने 'जिद', 'कहुना तऽ बचाउ' और 'विसर्जित होयबासँ पहिने' शीर्षक कविता के माध्यम से जीवन के कई पहलुओं को रेखांकित किया. मणिपुरी के कोनसम दोनेश्वर, बंगला के विद्युत पाल,
हिंदी के अमिताभ व असमिया के अनुपम कुमार ने भी काव्य-पाठ किया.

 बोडो की सुनीति नर्जारी ने 'प्रभाती मित्र' शीर्षक में प्रकृति का मनोहारी चित्र उकेरा. संताली के टुड़ा मुर्मू सिंचादो ने मातृभाषा दिवस पर धरती व मां की तुलना करती अपनी कविता 'धर्म की मां' के माध्यम से आयोजन को सामयिक बना दिया. कवियों ने विविध भाव-भूमि की अपनी रचनाओं से वातावरण को काव्यमय बनाने में सफलता पाई. मूल भाषा और उसके अनुवाद का पाठ किये जाने से कविताएं श्रोताओं तक पहुंचने में सफलता पाई और सभी ने जमकरइसकी तारीफ की व  लुत्फ भी  उठाया।

Comments

Popular posts from this blog

शुकराना समारोह 23 से 25 दिसंबर के बीच

बिहार की राजधानी पटना 350वें प्रकाश पर्व के शुकराना समारोह के लिए सजधज कर तैयार। One News LiveTeam| बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में शुकराना समारोह की तैयारियां  व  इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए श्रद्धालु पटना में पहुंचने शुरु।इस उपलक्ष्य पर पटना साहिब स्थित गुरुद्वारे को दुल्हन की भांति सजाया गया है। शुकराना समारोह 23 से 25 दिसंबर के बीच । श्रद्धालुओं को मूलभूत आवश्यकताएं मुहैया करवाने के लिए राज्य सरकार, पर्यटन विभाग, पुलिस प्रशासन और जिला प्रशासन द्वारा उचित व्यवस्था पूरी कर ली गई है। इस शुकराना समारोह में पटना पहुंचने वाले सिख श्रद्धालुओं के आवासन के लिए टेंट सिटी का निर्माण किया गया है। इसमें बाईपास थाना के पास बने टेंट सिटी में 35,000 श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था की गई है ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानियों का सामना ना करना पड़े। बता दें कि शुक्रवार को पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने बिहार के शहर श्री पटना साहिब में 10वें गुरु गोबिंद सिंह जी के 350वें प्रकाश पर्व के अवसर पर तख्त श्री पटना साहिब गुरुद्वारे में माथा...

रेल मंडल के सभी स्टेशनों से प्रतिदिन लगभग सवा लाख से अधिक यात्री यात्रा करते थे .आज है सुनसान.

ONE NEWS LIVE NETWORK/ SAMASTIPUR रेल मंडल मुख्यालय स्थित समस्तीपु स्टेशन पर प्रतिदिन औसतन 15 हजार यात्री अपने यात्रा का शुभारंभ करते थे। इसमें अधिकांश दैनिक यात्री शामिल हैं। लेकिन लॉकडाउन के कारण फिलहाल यहां यात्रियों की इंट्री पर रोक लगी है। प्लेटफार्म पर सवारी गाड़ी कोच तो लगी है, लेकिन खुलती नहीं है। जिसकी सुरक्षा में आरपीएसएफ को लगाया गया है। प्लेटफार्म पर इन दिनों गश्ती करते हुये आरपीएफ एवं आरपीएसएफ कर्मचारी के अलावे कुछ सफाई कर्मी ही नजर आते हैं।स्टेशन, बस पड़ाव यह नाम सुनते ही लोगों के जेहन में भीड़ भाड़ वाला दृश्य सामने घूमने लगता है। रेलवे स्टेशन एक ऐसा स्थान है, जहां 24 घंटे लोगों का जमघट रहता है। बीच-बीच में ट्रेनों के तेज हार्न एवं यात्रीगण कृपया ध्यान दें, पूछताछ केंद्र से निकली यह आवाज लोगों को अपने गंतव्य स्थान की याद दिलाती रहती है। लेकिन लॉकडाउन के कारण यहां आज वीरानगी छायी हुई है। देश में पहली बार रेलवे के पहिया इस कदर रूक गया कि पिछले 18 दिनों से स्टेशनों पर यात्रियों की इंट्री नहीं हो पायी है। कोरोना वायरस कोविद 19 को लेकर स्टेशन परिसर, प्लेटफार्म, प्रतिक्षालय सभी...

नीतीश सरकार ने 21 फैसलों पर लगाई अपनी मु‍हर, बनेगा इंटरनेशनल स्टेडियम वो भी राजगीर में

बिहारवन वेब टीम /  बिहार कैबिनेट ने आज अपनी बैठक में कुल 21 बड़े फैसले लिए।  बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई।  आइए नजर डालते हैं कैबिनेट के प्रमुख फैसलों पर। बिहार की महागठबंधन सरकार के कैबिनेट ने आज 21 प्रस्तावों पर अपनी सहमति दी। कैबिनेट ने नालंदा के राजगीर में इंटरनेशनल स्तर का स्टेडियम बनाने के प्रस्ताव को सहमति दे दी। साथ ही भूकंप रोधी मकान बनाने के लिए तकनीकी सहायता देने वाले कर्मियों के लिए योजना स्वीकृत की गई। बिहार कृषि प्रक्षेत्र क्षेत्र सहायक संवर्ग भर्ती एवं सेवा शर्त नियमावली (2017) को भी स्वीकृति दी गई। कैबिनेट ने जो प्रमुख फैसले लिए, उनपर डालते हैं एक नजर... -  राजगीर में इंटरनेशनल स्तर का स्टेडियम बनाने के प्रस्ताव को सहमति मिली। राज्य स्पोर्ट्स एकेडमी एवं अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप अत्याधुनिक क्रिकेट स्टेडियम के लिए 6.33 अरब रुपए स्वीकृत किए गए। -  बिहार सूचना एवं जनसंपर्क विभाग कलाकार संवर्ग में भर्ती एवं सेवाशर्त को लेकर नियमावली को स्वीकृत किया गया। -  पटना जिला अंतर्गत पालीगंज को नगर प...