ललचाने लगी लीची की लाली: वैज्ञानिक डॉ.अनिल कुमार
संजय राजा
बिहार वन वेब टीम
डॉ.राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विवि के उद्यान वैज्ञानिक डॉ.अनिल कुमार सिंह ने बताया कि लीची 15 से 20 मई तक आ जायेगा। उन्होंने लीची के बचाव के लिए वर्षा नहीं होने की स्थिति में अविलंब सिंचाई करने की अपील की। साथ ही लीची के पकने के समय कीड़े से बचाव के लिए एक मिली ईमेडाक्लोरोपिड दवा 5 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने की सलाह दी। कहा कि यह लाभकारी होगा। इधर इस वर्ष परंपरागत आम के पेड़ों में फल नगन्य दिख रहा है। जिसके कारण लोगों को इस बार आयातित आम के फलों पर निर्भर रहना होगा।
नतीजतन आम का फल महंगा होने के कारण आम लोगों से दूर रहने की संभावना है। हालांकि कुछ हाईब्रीड आम के प्रभेदों का फलन सामान्य है। वहीं कुछ जिलों में भी 25 से 30 प्रतिशत फलन की सूचना मिल रही है। जो महंगाई पर अंकुश लगा सकता है। लेकिन पुराने व स्वादिष्ट आम का स्वाद इस बार कम ही मिलने के आसार है। वैज्ञानिक डॉ.अनिल कुमार सिंह ने बताया कि आम का अनियमित फलन इस बार भी जारी है। इस बार कुछ जिलों में 25 से 30 प्रतिशत आम का फल है। शेष दूसरे प्रदेशों पर ही निर्भर होना होगा।लीची की लाली अब लोगों को ललचाने लगी है। वहीं आम के स्वाद के लिए इस बार आम लोग तरसेंगे! इस वर्ष लीची आमतौर पर पेड़ों पर भरपूर दिख रही है। यदि सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो 8-10 दिनों में गुणवत्तायुक्त लीची काफी मात्रा में बाजार में बिकने लगेगी।
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