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गाँधी की संघर्ष की धरती पर बना जनतंत्र मोर्चा

 गाँधी की संघर्ष की धरती पर बना जनतंत्र मोर्चा
भारत माता की जय, वंदे मातरम्. भ्रष्टाचार के खिलाफ लड.ाई लड. रहे 75 वर्षीय अत्रा हजारे बुधवार को जब गांधी मैदान पहुंचे, तो सबसे पहले भीड. से यही नारा लगवाया. लगभग चालीस वर्ष पहले लोकनायक जयप्रकाश नारायण अपने निवास से जिस रास्ते से होकर गांधी मैदान आये थे, अत्रा हजारे ने भी उसी रास्ते को चुना. भीड. में गजब का उत्साह था. अत्रा को देखते ही गांधी मैदान में नारा गूंजने लगा, अत्रा तुम संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं. 
सबक सिखायेगी जनता
अत्रा ने पहले महात्मा गांधी की खून से सनी मिट्टी को हाथ में लेकर गांधी के रास्ते चलने का संकल्प दिलवाया. साथ ही युवाओं को सिगरेट, खैनी, गुटखा व शराब आदि का सेवन नहीं करने की सलाह भी दी. उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड.ाई के लिए राष्ट्रीय स्तर का एक संगठन जनतंत्र मोरचा की घोषणा की. 

चुनाव से दूर रहेगा मोरचा

यह संगठन चुनावी मैदान से दूर रहेगा. अत्रा के सहयोगी पूर्व थल सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह ने इसकी प्राथमिकता भी गिनायी. लोकनायक जयप्रकाश नारायण को याद करते हुए अत्रा ने कहा कि हम संपूर्ण क्रांति के अधूरे कार्य को पूरा करेंगे. फरवरी में चार राज्यों में दौरा होगा और फिर मार्च से देश भर का भ्रमण करेंगे. जनता को जागरूक करेंगे. उन्होंने युवकों से सद्विचार की राह पर चलने का आह्वान किया और देश में बदलाव व व्यवस्था परिवर्तन की लड.ाई में तन-मन-धन से सहयोग करने का संकल्प दिलाया. करीब घंटे भर के अपने संबोधन में अत्रा ने जन लोकपाल के लिए केंद्र सरकार को निशाने पर लिया. कहा, यदि हम जैसा जन लोकपाल चाहते है, वैसा बिल नहीं लाया गया, तो जनता सरकार को सबक सिखायेगी. चुनाव की घोषणा के बाद दिल्ली के रामलीला मैदान में फिर रैली की जायेगी. 

चरित्र को ठीक रखें तभी गुंडों से निबट सकेंगे 

कृषि प्रधान देश में किसान आत्महत्या कर रहे हैं. आजादी के 65 साल बाद भी देश की स्थिति नहीं बदली. हम गणतंत्र दिवस को स्कूलों में मनाते हैं, जबकि असल गणतंत्र पटना व नयी दिल्ली में है. देश संविधान के तहत चलता है और संविधान में सबसे शक्तिशाली ग्रामसभा है. 18 साल का उम्र होने पर युवा आजीवन ग्राम सभा का सदस्य बन जाता है. जो संविधान का पालन नहीं करे, वह संसद में बैठने के योग्य नहीं. युवाओं को प्रेरित करते हुए उन्होंने कहा कि जब हम अकेले महाराष्ट्र के छह मंत्री व 400 अधिकारियों को हटवा सकते हैं, तो सभी युवा एक हो जायें, तो क्या होगा, इसकी कल्पना की जा सकती है. अगर युवा अपने चरित्र को ठीक रखें, तो किसी भी तरह के गुंडों से मुकाबला किया जा सकता है. राष्ट्रीय स्तर पर जनतंत्र मोरचा की घोषणा करनेवाले अत्रा ने कहा कि इसके माध्यम से हम वैसे कानून बनवायेंगे जो जनहित में होगा. 

छह करोड. भी जाग गये, तो सरकार का बंद मुंह खुल जायेगा

सरकार को केवल एक ही बात से डर लगता है कि कहीं सरकार गिर न जाये. जनता जब जागरूक हो जायेगी, तो किसी भी सरकार को गिरा सकती है. मोरचा के माध्यम से हम संगठित होकर कानून बनाने में सफल होंगे. उम्रदराज कहनेवाले लोगों को सतर्क करते हुए अत्रा ने कहा कि देश के युवाओं का साथ मिला, तो हम 50 साल के युवक बन गये हैं. पूरे देश में घूमेंगे. अगर देश की 120 करोड. जनता को जगा नहीं पाया, तो कम- से- कम छह करोड. को जरूर जगा दूंगा. छह करोड. अगर जागरूक हो गये, तो सरकार के बंद मुंह को खोला जा सकता है. देश की जनता ने जो रामलीला मैदान में किया, उससे पूरी दुनिया हतप्रभ है. लाखों की जनता के बावजूद कहीं कोई हिंसा नहीं हुई. 

शादी करें, पर परिवार बड.ा बनाएं 

स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी व लोकनायक जयप्रकाश नारायण के जीवन से अपने आप को प्रभावित बताते हुए अत्रा ने कहा कि हम इन महान विभूतियों के चरणों के पास भी बैठने की पात्रता नहीं रखते. पर, इनके विचारों ने काफी प्रभावित किया. जेपी, बुद्ध की पवित्र भूमि बिहार है. इसलिए भ्रष्टाचार के खिलाफ यहीं से लड.ाई शुरू करने का निर्णय लिया. शुद्ध विचार, निष्कलंक जीवन व त्याग करने की प्रवृत्ति हो, तभी कोई परिवर्तन लाया जा सकता है. 40 साल से घर नहीं गया. भाई के बेटे-बेटियों का नाम नहीं जानता. शादी नहीं की. शादी करता, तो दो बो होते और चहारदीवारी में एक छोटा परिवार होता. शादी नहीं की, तो पूरा देश परिवार हो गया. इसलिए छोटा के बजाय बड.ा परिवार बनाने में यकीन करो. अत्रा ने युवाओं को यह भी नसीहत दी कि वे शादी जरूर करें, पर परिवार का दायरा बढ.ाएं. करोड.पति व लखपति बनने के बजाय देशहित के बारे में सोचे. जो करोड.पति बनने में यकीन रखते हैं, उनकी जयंती नहीं मनायी जाती है. जो समाज व देश की सेवा में लगे रहते हैं, वही मरने के बाद भी जीवित रहते हैं. हम कहां से आये हैं, क्या करना है, किसके लिए करना है आदि सोचें और समाज व देशहित में काम करें.अत्रा ने बनाया..

जनता को जागरूक करेंगे. उन्होंने युवकों से सद्विचार की राह पर चलने का आह्वान किया और देश में बदलाव व व्यवस्था परिवर्तन की लड.ाई में तन-मन-धन से सहयोग करने का संकल्प दिलाया. करीब घंटे भर के अपने संबोधन में अत्रा ने जन लोकपाल के लिए केंद्र सरकार को निशाने पर लिया. कहा, यदि हम जैसा जन लोकपाल चाहते है, वैसा बिल नहीं लाया गया, तो जनता सरकार को सबक सिखायेगी. चुनाव की घोषणा के बाद दिल्ली के रामलीला मैदान में फिर रैली की जायेगी. 

चरित्र को ठीक रखें तभी गुंडों से निबट सकेंगे 

कृषि प्रधान देश में किसान आत्महत्या कर रहे हैं. आजादी के 65 साल बाद भी देश की स्थिति नहीं बदली. हम गणतंत्र दिवस को स्कूलों में मनाते हैं, जबकि असल गणतंत्र पटना व नयी दिल्ली में है. देश संविधान के तहत चलता है और संविधान में सबसे शक्तिशाली ग्रामसभा है. 18 साल का उम्र होने पर युवा आजीवन ग्राम सभा का सदस्य बन जाता है. जो संविधान का पालन नहीं करे, वह संसद में बैठने के योग्य नहीं. युवाओं को प्रेरित करते हुए उन्होंने कहा कि जब हम अकेले महाराष्ट्र के छह मंत्री व 400 अधिकारियों को हटवा सकते हैं, तो सभी युवा एक हो जायें, तो क्या होगा, इसकी कल्पना की जा सकती है. अगर युवा अपने चरित्र को ठीक रखें, तो किसी भी तरह के गुंडों से मुकाबला किया जा सकता है. राष्ट्रीय स्तर पर जनतंत्र मोरचा की घोषणा करनेवाले अत्रा ने कहा कि इसके माध्यम से हम वैसे कानून बनवायेंगे जो जनहित में होगा. 

छह करोड. भी जाग गये, तो सरकार का बंद मुंह खुल जायेगा

सरकार को केवल एक ही बात से डर लगता है कि कहीं सरकार गिर न जाये. जनता जब जागरूक हो जायेगी, तो किसी भी सरकार को गिरा सकती है. मोरचा के माध्यम से हम संगठित होकर कानून बनाने में सफल होंगे. उम्रदराज कहनेवाले लोगों को सतर्क करते हुए अत्रा ने कहा कि देश के युवाओं का साथ मिला, तो हम 50 साल के युवक बन गये हैं. पूरे देश में घूमेंगे. अगर देश की 120 करोड. जनता को जगा नहीं पाया, तो कम- से- कम छह करोड. को जरूर जगा दूंगा. छह करोड. अगर जागरूक हो गये, तो सरकार के बंद मुंह को खोला जा सकता है. देश की जनता ने जो रामलीला मैदान में किया, उससे पूरी दुनिया हतप्रभ है. लाखों की जनता के बावजूद कहीं कोई हिंसा नहीं हुई. 

शादी करें, पर परिवार बड.ा बनाएं 

स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी व लोकनायक जयप्रकाश नारायण के जीवन से अपने आप को प्रभावित बताते हुए अत्रा ने कहा कि हम इन महान विभूतियों के चरणों के पास भी बैठने की पात्रता नहीं रखते. पर, इनके विचारों ने काफी प्रभावित किया. जेपी, बुद्ध की पवित्र भूमि बिहार है. इसलिए भ्रष्टाचार के खिलाफ यहीं से लड.ाई शुरू करने का निर्णय लिया. शुद्ध विचार, निष्कलंक जीवन व त्याग करने की प्रवृत्ति हो, तभी कोई परिवर्तन लाया जा सकता है. 40 साल से घर नहीं गया. भाई के बेटे-बेटियों का नाम नहीं जानता. शादी नहीं की. शादी करता, तो दो बो होते और चहारदीवारी में एक छोटा परिवार होता. शादी नहीं की, तो पूरा देश परिवार हो गया. इसलिए छोटा के बजाय बड.ा परिवार बनाने में यकीन करो. अत्रा ने युवाओं को यह भी नसीहत दी कि वे शादी जरूर करें, पर परिवार का दायरा बढ.ाएं. करोड.पति व लखपति बनने के बजाय देशहित के बारे में सोचे. जो करोड.पति बनने में यकीन रखते हैं, उनकी जयंती नहीं मनायी जाती है. जो समाज व देश की सेवा में लगे रहते हैं, वही मरने के बाद भी जीवित रहते हैं. हम कहां से आये हैं, क्या करना है, किसके लिए करना है आदि सोचें और समाज व देशहित में काम करें

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