मुकेश समस्तीपुरी
बुत गयी तिमिर की ज्योती ,
एक दहार थम गया ,
आज सिंह की गर्जन ,
शांत चित पर गया .
तू जो ध्वज थाम के ,
बाधा था हिंदुत्व का ,
वो ध्वज निरंतर बढ़ता रहेगा सदा .
कहते हैं सब की तू -
मराठे मानुस की हुनकर थे .
पर कह रहा है ''मुकेश'' तू ,
हिंदुत्व की हुंकार थे .
छोर कर तू विरासत शून्य में
तू चले गए
न भर पाएगा ये खली पण कभी ,
ओ व्रती तू देखता था जिस स्वपन को
होगा साकार तू / सब देखना .
तू आज भले ही एक इतिहास है बनगया ,
लेकिन सीख सब तुझसे लेंगे सदा
सत नमन सत नमन
ओ ठाकरे सत सत नमन
c मुकेश समस्तीपुरी
बुत गयी तिमिर की ज्योती ,
एक दहार थम गया ,
आज सिंह की गर्जन ,
शांत चित पर गया .
तू जो ध्वज थाम के ,
बाधा था हिंदुत्व का ,
वो ध्वज निरंतर बढ़ता रहेगा सदा .
कहते हैं सब की तू -
मराठे मानुस की हुनकर थे .
पर कह रहा है ''मुकेश'' तू ,
हिंदुत्व की हुंकार थे .
छोर कर तू विरासत शून्य में
तू चले गए
न भर पाएगा ये खली पण कभी ,
ओ व्रती तू देखता था जिस स्वपन को
होगा साकार तू / सब देखना .
तू आज भले ही एक इतिहास है बनगया ,
लेकिन सीख सब तुझसे लेंगे सदा
सत नमन सत नमन
ओ ठाकरे सत सत नमन
c मुकेश समस्तीपुरी
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