बेहतर स्कूली शिक्षा तक सबकी पहुंच के लिए समावेशी पहलें
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डॉ.टी.एन.गिरी*
विशेष लेखशिक्षा
राष्ट्रीय मुक्त शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) जिसे पहले राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय कहा जाता था, उसकी स्थापना 1979 में की गई थी। यह संस्थान आज सीबीएसई के अधीन ''मुक्त विद्यालय'' के रूप में महत्वपूर्ण परियोजना चला रहा है। मुक्त विद्यालय को राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय में मिला दिया गया था। उल्लेखनीय है कि नवम्बर, 1989 में राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय का गठन किया गया था। कालांतर में जुलाई, 2002 में मुक्त विद्यालय के दायरे को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय का नाम भारत सरकार ने राष्ट्रीय मुक्त शिक्षा संस्थान रखा।
अवलोकन :
बेहतर स्कूली शिक्षा और कौशल विकास के लिए सार्वभौमिक और समावेशी पहल करना, ताकि सतत रूप से शिक्षा प्रदान की जा सके।
अभियान :
मुक्त और दूरस्थ शिक्षा प्रणाली के जरिये स्नातक पूर्व स्तर की प्रासंगिक और सतत शिक्षा प्रदान करना।
स्कूली शिक्षा के सार्वभौमिकीकरण में योगदान।
समानता और सामाजिक न्याय के लिए लक्षित समूहों की शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा करना। यह संस्थान सबसे अलग किस्म का है। इस मुक्त विद्यालय में पढ़ाई की प्रक्रिया को लचीला बनाया गया है। उल्लेखनीय है कि लगभग 19 लाख शिक्षार्थी इस संस्थान के तहत माध्यमिक, उच्चतर माध्यमिक और रोजगारपरक शिक्षा संबंधी पाठ्यक्रमों में पंजीकृत किये गये है।
एनआईओएस 3 राष्ट्रीय बोर्डो में से एक है, जो मुक्त और दूरस्थ शिक्षा प्रणाली द्वारा स्कूली शिक्षा प्रदान कर रहा है। इसे छात्रों का पंजीकरण करने, स्नातक स्तर तक की परीक्षा लेने और प्रमाण पत्र देने का अधिकार है। एनआईओएस का जो पाठ्यक्रम है, वह अन्य राष्ट्रीय/राज्य स्तरीय बोर्डों के पाठ्यक्रमों के समान है और उसका स्तर उन्हीं के अनुरूप है। एनआईओएस से पढ़ाई पूरी करने के बाद शिक्षार्थियों ने अन्य कॉलेजों और व्यावसायिक संस्थानों में पढ़ाई की।
एनआईओएस मुक्त और दूरस्थ शिक्षा प्रणाली के जरिये, जो शिक्षा प्रदान करता है, उसे मुक्त शिक्षा कहा जाता है। एनआईओएस स्वयं अपना पाठ्यक्रम, शिक्षा सामग्री, मीडिया समर्थन कार्यक्रम चलाता है, जिसके लिए विभिन्न शिक्षा संस्थानों/संगठनों के विशेषज्ञ योगदान करते हैं।
शिक्षार्थियों के हितों के लिए एनआईओएस ने ऑनलाइन प्रवेश प्रणाली शुरू की है, जो पंजीकरण के लिए पूरे वर्ष और हर समय खुली रहेंगी। इस योजना के तहत शिक्षार्थियों के पास प्रवेश के कई विकल्प हैं। वे चाहें तो ऑनलाइन पंजीकरण करवा सकते हैं या निकट के शिक्षा केन्द्र अथवा स्वागत केन्द्र में पंजीकरण करवा सकते हैं या एनआईओएस के क्षेत्रीय केन्द्र से सम्पर्क कर सकते हैं।
एनआईओएस माध्यमिक स्तर पर 17 भाषाओं सहित 27 विषयों और 8 माध्यमों (हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू, गुजराती, मराठी, तेलगू, मलयालम और उडि़या) में और उच्चतर माध्यमिक स्तर पर 6 भाषाओं सहित 23 विषयों और 3 माध्यमों (हिन्दी, अंग्रेजी और उर्दू) में शिक्षा प्रदान करता है।
छात्र अपनी पसंद से विषय चुन सकते हैं। एक भाषा को छोड़कर कोई भी विषय अनिवार्य नहीं है। विषयों का चयन अपनी रूचि, आवश्यकता और भविष्य को ध्यान में रखकर किया जा सकता है। इस बात की व्यवस्था भी की गई है कि शिक्षार्थी अकादमिक विषयों के साथ एक रोजगारपरक विषय ले सकता है। शिक्षार्थियों को विषयों और पढ़ने का स्थान चुनने की पूरी आजादी है।
एनआईओएस अपने शिक्षार्थियों के साथ सीधे सम्पर्क में रहता है। पठन सामग्री प्रत्येक शिक्षार्थी को निशुल्क भेजी जाती है। शिक्षार्थी तुरन्त और सीधी मदद के लिए शिक्षार्थी समर्थन केन्द्र के जरिये एनआईओएस के साथ सीधा सम्पर्क कर सकते हैं। संस्थान द्वारा विकसित पठन सामग्री से कोई भी अपने आप शिक्षा प्राप्त कर सकता है। छपी हुई सामग्री के संदर्भ में शिक्षा केन्द्रों और मीडिया समर्थन कार्यक्रमों के माध्यम से व्यक्तिगत सम्पर्क द्वारा मदद प्राप्त की जा सकती है। इसके लिए ऑडियो-वीडियो कैसेट, प्रसारण एवं संचार कार्यक्रमों का इस्तेमाल किया जाता है। शिक्षार्थी, अध्यापक द्वारा दिये गये कार्य (ट्यूटर मार्क्ड एसाइनमेंट) की सुविधा भी प्राप्त कर सकता है, इससे नियमित पढ़ने की आदत विकसित होती है और सीखने की प्रगति का आकलन किया जा सकता है।
एनआईओएस ने ''मुक्त विद्या वाणी'' नामक एक वेबसाइट चैनल भी शुरू किया है, जिसमें शिक्षार्थियों के लाभ के लिए प्रत्यक्ष व्यक्तिगत सम्पर्क कार्यक्रम रोज चलाये जाते है। यह सुविधा शिक्षा केन्द्रों और क्षेत्रीय केन्द्रों में उपलब्ध है।
एनआईओएस एक अकादमिक वर्ष में अप्रैल-मई और अक्तूबर-नवम्बर में दो परीक्षाओं का आयोजन करता है। परीक्षाओं में प्रोन्नत-अंक देने की सुविधा है। यह परीक्षा प्रणाली में एक अभिनव प्रयोग है। इस बात की व्यवस्था भी की गई है कि शिक्षार्थी जब चाहें अपनी इच्छा से परीक्षा में बैठ सकते हैं। इसे मांग आधारित परीक्षा प्रणाली (ऑन डिमांड एक्जामिनेशन सिस्टम) कहा जाता है।
cradit pib
23 may 2013
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ONE NEWS LIVE NETWORK/ SAMASTIPUR रेल मंडल मुख्यालय स्थित समस्तीपु स्टेशन पर प्रतिदिन औसतन 15 हजार यात्री अपने यात्रा का शुभारंभ करते थे। इसमें अधिकांश दैनिक यात्री शामिल हैं। लेकिन लॉकडाउन के कारण फिलहाल यहां यात्रियों की इंट्री पर रोक लगी है। प्लेटफार्म पर सवारी गाड़ी कोच तो लगी है, लेकिन खुलती नहीं है। जिसकी सुरक्षा में आरपीएसएफ को लगाया गया है। प्लेटफार्म पर इन दिनों गश्ती करते हुये आरपीएफ एवं आरपीएसएफ कर्मचारी के अलावे कुछ सफाई कर्मी ही नजर आते हैं।स्टेशन, बस पड़ाव यह नाम सुनते ही लोगों के जेहन में भीड़ भाड़ वाला दृश्य सामने घूमने लगता है। रेलवे स्टेशन एक ऐसा स्थान है, जहां 24 घंटे लोगों का जमघट रहता है। बीच-बीच में ट्रेनों के तेज हार्न एवं यात्रीगण कृपया ध्यान दें, पूछताछ केंद्र से निकली यह आवाज लोगों को अपने गंतव्य स्थान की याद दिलाती रहती है। लेकिन लॉकडाउन के कारण यहां आज वीरानगी छायी हुई है। देश में पहली बार रेलवे के पहिया इस कदर रूक गया कि पिछले 18 दिनों से स्टेशनों पर यात्रियों की इंट्री नहीं हो पायी है। कोरोना वायरस कोविद 19 को लेकर स्टेशन परिसर, प्लेटफार्म, प्रतिक्षालय सभी...
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