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चंपारण सत्याग्रह के सौ साल

चंपारण सत्याग्रह शताब्दी समारोह : शराबमुक्त के बाद बनेगा दहेजमुक्त बिहार


                            चंपारण सत्याग्रह के सौ साल
onenews.co.in 
किरण कुमारी 
गाँधी जी का चंपारण सत्याग्रह की महत्ता वर्तमान परिवेश में कई प्रेरणा युवाओ के लिए छोड़ती है. उनका सत्याग्रह को आज की परिस्थितियों से करा संघर्षो से जूझना होगा। गाँधी जी ने चम्पारण के  गन्ना किसानो के हित के लिए अंग्रेजो के लाख मना करने के बाबजूद वो चम्पारण गए थे। आज बिहार के शिक्षक अपने मूलभूत सवालो को लेकर सड़को  पर है. 
महात्मा गाँधी के चम्पारण सत्याग्रह के सौ वर्ष पुरे होने के उपलक्ष्य में सम्राट अशोक कन्वेंशन सेंटर के ज्ञान भवन में आयोजित राष्ट्रीय विमर्श का उद्घाटन करते हुए सीएम नितीश कुमार ने मंच से ही शराबबन्दी के बाद अभियान 2 दहेजबंदी के लिए अभियान चलने की बात कह दी।  उन्होंने कहा की 11 अप्रैल 1917 को ही गाँधी जी पटना आये थे. आज उनके नाम को हर कोई भुनाना चाहता है। बिहार की महिलाओ ने दहेजबंदी के लिए तथा बाल विवाह रोकने के लिए सुझाव दी है। इसलिए अब वक़्त आ गया है की नशा मुक्ति के साथ साथ बाल विवाह के खिलाफ भी अभियान चलाया जाय। 
  


  

हमने शुरू से न्याय के साथ विकास पर जोर दिया है. समाज के सभी तबकों के लोगों की भलाई के लिए काम किया गया है. हमने इस बात का ख्याल रखा है कि सरकारी योजनाओं का लाभ समाज के अंतिम पायदान पर खड़े लोगों तक पहुंचे. हमारी योजनाएं सभी के लिए हैं और सभी को इससे लाभ मिला है. सीएम ने कहा कि नारी सशक्तीकरण की दिशा में भी काफी काम हुआ है और इसका लाभ भी दिखाई पड़ रहा है. शराबबंदी की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि पांच अप्रैल, 2016 से राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू की गयी है. पहले शराबबंदी चरणबद्ध तरीके से लागू करने के बारे में सोचा था.

लोगों के बीच शराबबंदी के पक्ष में माहौल बनाने के लिए जन जागरण का जबरदस्त अभियान चलाया गया. छात्र-छात्राओं ने अपने अभिभावकों से शराब नहीं पीने का संकल्प पत्र भरवाया. एक करोड़ 19 लाख संकल्प पत्र भरे गये. नौ लाख जगहों पर नारे लिखे गये. 25 हजार जगहों पर नुक्कड़ नाटक का आयोजन हुआ. गीत बनाये और गाये गये. जबरदस्त माहौल बना. शहरों में जब शराब की दुकानें खुलने लगीं, तो लोगों ने उसका विरोध किया.

माहौल ऐसा बना कि चार दिनों के अंदर पांच अप्रैल, 2016 से बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू कर दी गयी. पूरे बिहार के लोगों ने इसका स्वागत किया गया. उन्होंने कहा कि शराबबंदी सफलतापूर्वक लागू रखने के लिए जन चेतना जरूरी है. शराबबंदी के संदर्भ में राजस्थान का उदाहरण देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी किया है कि एनएच और एसएच के 500 मीटर के दायरे में शराब की दुकानें नहीं खोली जा सकती हैं. पर, यह जानकर आश्चर्य हो रहा है कि कुछ राज्यों में एनएच और एसएच को डिनोटिफाइड किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि शराबबंदी से सरकार को कोई नुकसान नहीं है. बिहार ने हिम्मत किया है, आप भी करके देखें.

गांधी जहां-जहां गये, वहां स्मृति यात्रा
मुख्यमंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी जहां -जहां गये थे, उन जगहों पर स्मृति यात्रा का आयोजन होगा. 17 अप्रैल, 2017 को पटना में देश भर के स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित किया जायेगा. इस आयोजन में भाग लेने के लिए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सहमति दे दी है. विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं को भी आमंत्रित किया गया है.

गांधी जी के विचारों से समाज बदल जायेगा. उन्होंने कहा कि चंपारण सत्याग्रह के शताब्दी समारोह में हमारा मुख्य उद्देश्य है गांधी जी के विचारों से सबको अवगत कराना. गांधी जी को सब मानते हैं, पर गांधी जी के विचारों को अपनाने के लिए कोई नजरिया नहीं है. उन्होंने कहा कि हम बापू के विचारों पर घर-घर दस्तक देंगे. गांधी जी के विचारों पर फिल्म बना कर एक-एक गांव, सौ तक की आबादी वाले टोलों तक में दिखायेंगे. साथ ही स्कूल में बच्चों को रोज गांधी जी से जुड़ी कहानी प्रार्थना के बाद बतायी जायेगी.

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय विमर्श से जो बातें सामने आयेंगी, उन्हें भी हम घर-घर तक पहुंचायेंगे. हर छात्र-छात्रा को इससे अवगत करायेंगे. अगर नयी पीढ़ी का दस प्रतिशत भी गांधीजी के विचारों के प्रति आकर्षित हो जाये, तो आनेवाले 10 से 15 साल में समाज बदल जायेगा. मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय विमर्श में आये लोगों से गांधीजी के विचारों के सभी पहलुओं पर विचार करने की अपील की. पर्यावरण पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि आप गंगा नदी के किनारे हैं, गंगा नदी काे देख लें कि आज क्या हाल है.

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय विमर्श से जो नतीजा निकलेगा, उन नतीजों को हमलोग पुस्तक की शक्ल में प्रकाशित करेंगे. उन्होंने गांधीवादियों से अपील की कि आप एजेंडा सेट करें कि देश को कैसे आगे ले जाना है. आप लोगों को यह बताएं कि आपको क्या विकल्प नजर आता है. लोगों के सामने सारी चीजें रख दें. आप लोग जो भी विमर्श करेंगे और उससे जो बात निकल कर आयेगी, उसका अनुपालन करने की कोशिश करूंगा.
इस अवसर पर महात्मा गांधी के पौत्र व पूर्व राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी, न्यायमूर्ति चंद्रशेखर धर्माधिकारी, डाॅ रजी अहमद, मेधा पाटेकर, सच्चिदानंद सिन्हा, न्यायमूर्ति राजेंद्र सच्चर, प्रेरणा देसाई ने भी विचार व्यक्त किये. डॉ एसएन सुब्बाराव ने एक गीत प्रस्तुत किया गया. अतिथियों का स्वागत शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने किया. उन्हें अंगवस्त्र और प्रतीक चिह्न देकर अभिनंदन किया गया. इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव, ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव, सहकारिता मंत्री आलोक कुमार मेहता, कला-संस्कृति मंत्री शिवचंद्र राम समेत सरकार के वरिष्ठ अधिकारी व सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित थे.

बिहार में मैं पिछले दिनों  घूमा, पर कहीं शराब की दुकान नहीं मिली.  आज बिहार में नीतीश को शराबबंदी के बाद जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा  है, 80 साल  पहले मद्रास राज्य में शराबबंदी के बाद राजगोपालाचारी को भी एेसी ही समस्याओं का सामना करना पड़ा.
एसएन सुब्वाराव, गांधीवादी िवचारक
गांधी का चंपारण आना उनके राजनीतिक जीवन का एक संधि िबंदु है. चंपारण आने  से पहले वे दक्षिण अफ्रीका में एक बहुत बड़े राजनीतिक आंदोलन का नेतृत्व कर  चुके थे.  इस बात पर भी ध्यान देना  चाहिए कि अफ्रीका से वे आये तो किन राजनीतिक परंपराओं को लेकर आये.
सच्चिदानंद सिन्हा, गांधीवादी विचारक
नीतीश कुमार को पूर्ण शराबबंदी का संकल्प लेने के लिए धन्यवाद और उसे दुहराने के लिए भी. गांधी के चंपारण सत्याग्रह को सिर्फ  औपचारिकता से मनाने से  नहीं होगा, सत्याग्रह करनेवाले व्यक्ति को इसे खुद अपने जीवन में अपनाना चाहिए.

चंद्रशेखर धर्माधिकारी, पूर्व न्यायाधीश
चंपारण  में सिर्फ इस बात की लड़ाई नहीं थी कि नील उत्पादक किस तरह चलते हैं, बल्कि यह हिंदुस्तान की स्वतंत्रता की लड़ाई थी. गांधी ने चंपारण से वापस जाने के अंगरेजों का आदेश मानने से इनकार किया. यह अपने किस्म की एक नयी  राजनीति थी.

राजेंद्र सच्चर, पूर्व सीजे, दिल्ली हाइकोर्ट
आज जिसे विकास कहा जा रहा है वह विकास नहीं है. यदि दुनिया या देश की आधी  संपत्ति एक-दो फीसदी लोगों की हाथों में आ जाये तो वह विकास नहीं है. लालच  और भय के नाम पर आज का पूरा तंत्र चल रहा है. हम या तो शोषण के शिकार होते हैं या शोषण के साधन बन कर रह जाते हैं.

प्रेरणा देसाई, अर्थशास्त्री
जमीन अधिग्रहण व आधार में हो रही जाेर-जबरदस्ती : गोपाल कृष्ण गांधी
 महात्मा गांधी के  पौत्र और पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी ने कहा कि देश  में आज जमीन अधिग्रहण और आधार नंबर के नाम पर जुल्म-जबरदस्ती हो रही है. राष्ट्रीय विमर्श के उद्घाटन  के बाद उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण के लिए अंगरेजों ने एक एक्ट  बनाया था. इसका अर्थ है कि जिनके पास जमीन होती थी, उसको सरकार अपने वश में  लेना चाहे, तो वह ले सकती है. बाद में भी जमीन अधिग्रहण एक्ट रहा. आज तो भूमि अधिग्रहण एक्ट अध्यादेश के जरिये लाया जा रहा है. एक नहीं, दो नहीं, तीन अध्यादेश.

जमीन  का अधिकार लोगों के हाथ से छीनने के लिए कैसे व किस तरह के उपाय किये  जा रहे हैं. मुआवजा, क्षतिपूर्ति को दरकिनार कर इस एक्ट को एेसा  सख्त  बनाया जा रहा है, जिसे अंगरेजों ने भी नहीं बनाया था. वह भी अध्यादेश से. अध्यादेश  तो आपातकाल में लाये जाते हैं. आज अध्यादेश लाने के कई मुद्दे हैं, लेकिन जमीन अधिग्रहण पर अध्यादेश लाये जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि   लोगों की इच्छा पता कीजिए,  लोगों की स्वेच्छा जमीन लें. ग्राम सभा से नहीं पूछा जा रहा है.  सोशल  इंपैक्ट असेसमेंट की जरूरत नहीं समझी जा रही है. जल्द-से-जल्द हमें जमीन  चाहिए और जल्द-से-जल्द हम जमीन को लेंगे. उन्होंने कहा कि जुल्म और जबरदस्ती के कई और रूप देख सकते हैं. आधार जिस तरह से लागू किया जा रहा है, उस पर कोई विचार  नहीं किया जा रहा है.

नंदन नीलकेणी बहुत सुलझे हुए व्यक्ति हैं. मुझे नहीं  लगता कि उन्होंने जब आधार का विकास किया और इसकी परिकल्पना को रूप  दिया, तो वह जानते थे कि यह रूप इस राह पर ले जायेगा. मैं अगर उनके करीब होता, तो कहता कि नंदन जी साइंटिस्ट रिजर्ड ओपेन हार्मर ने न्यूक्लियर हथियार का विस्फोट पहले-पहले दुनिया को दिया. वे उसको देख कर चौक गये और कहा कि यह तो मैंने मृत्यु का हथियार दे दिया है. उन्हें जो पश्चाताप हुआ, उससे नंदन नीलकेणी सीख सकते हैं. यह नंदन नीलकेणी की बात नहीं है. आज हमारे समाज की बात है. क्या मिड डे मील खाने के अधिकार के लिए आधार नंबर चाहिए? आधार क्या है? यह नंबर ही है. भारत  में हमें नंबर ज्यादा पंसद है.

गैस कनेक्शन का नंबर, टेलीफोन कनेक्शन  का नंबर, मोटरसाइकिल नंबर, पासपोर्ट नंबर. नंबर हो, तो लगता है कि  शक्ति मिल गयी है. पर, यह जो  नया नबंर है, हमें शक्ति देने के बजाय हमसे कुछ लिया जा रहा है. एक  चाबी, जो हमारे हाथ में दी गयी थी, पहले-पहले लगा कि इससे हमें वह शक्ति  मिलेगी, जो दरवाजे खोलेगी. बाकी नंबर काम नहीं करते, तो आधार का नंबर काम कर जायेगा. पर, देखते-देखते चाबी हमारे हाथ से हमारे काम के लिए  नहीं, किसी और हाथ में किसी और काम के लिए चल रही है और वह ऐसे दरवाजे-खिड़कियां खोल रही है, जिनकी हमने कल्पना नहीं की थी. आधार एक बड़ा सशक्त और आधार देनेवाला तैयार हो सकता है और  एक खतरनाक और हम सबसे हमारे आधारों को हिला देनेवाला औजार भी हो सकता है. हमें जागरूक रहना होगा.

मैं आधार की निंदा नहीं कर रहा हूं और न ही मैं कह रहा हूं कि आधार को रोल बैक करें. मैं कह रहा हूं कि जमीन अधिग्रहण एक्ट का जिस प्रकार दुरुपयोग हो रहा है, कहीं  ऐसा  न हो  जाये कि आधार का भी दुरुपयोग हो और हम अपने आप को अंधकार में पाएं. अब मनरेगा में अपनी आमदनी पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बावजूद आधार चाहिए. मनरेगा के तहत जो मिलना चाहिए, जितना मिलना  चाहिए, वह तो नहीं मिल रहा है, लेकिन आधार कार्ड से भुगतान की बात हो रही  है.  उन्होंने कहा कि चंपारण सत्याग्रह जमीन से ही जुड़ा हुआ था. जमीन पर कई  तरह की निगाह होती है. जमीन खतरे में है. किसान व कृषि पीड़ा में है. जो  जमीनी लूट हो रही है और कृषि संकट के दौर से गुजर रही है, यह नहीं होना  चाहिए. इसमें बदलाव लाना चाहिए.

गांधीवादी कहने वाला अपने आप को देता है धोखा
गोपाल कृष्ण  गांधी ने कहा कि गांधी जी के प्राकृतिक परिवार से ज्यादा गांधी जी के  वैचारिक परिवार का महत्व है. गांधी जी के वैचारिक परिवार के सदस्य बहुत  समर्पित हैं. जो अपने आप को गांधीवादी कहते हैं, वे एक तरह से अपने आप को  धोखा देते हैं. गांधी का नाम लिये बिना जो गांधी का काम करने में व्यस्त  हैं, वे ही असली गांधीवादी हैं.

अंधकार को बिहार फिर दिखायेगा प्रकाश
गाेपाल कृष्ण गांधी ने राजकुमार शुक्ल का  जयकारा लगाते हुए कहा कि उन्होंने ही गांधी को गांधी के रूप में काम करने  को मजबूर किया. यही बिहार की विशेषता रही है. सिद्धार्थ, अशोक के समय भी  अंधकार में बिहार ने प्रकाश दिखाया, यह एेतिहासिक सत्य है.

बिहार के आह्वान से जो शुरू हुआ, उस चिनगारी से कई चिनगारियां चमकीं और अंधकार में प्रकाश  हुआ. चंपारण सत्याग्रह के सौ साल बाद और आजादी के 70 साल बाद प्रकाश है, लेकिन इस प्रकाश में अंधकार है. उस अंधकार को बिहार फिर से प्रकाश  दिखायेगा. मैं मानता हूं और जानता हूं कि  बिहार की  प्रेरणा आज देश के भाल पर हमें इस अंधकार से बाहर ले जायेगी.

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