एचएलएल लाइफ केयर लिमिटेड – सफलता की गाथा |
यह विशेष लेख पी आई बी से साभार लिया गया है
(स्वास्थ्य)
*एम जैकब अब्राहम
केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन तिरूअनंतपुरम स्थित एचएलएल लाइफ केयर लिमिटेड विश्व में सबसे बड़ी कन्डोम उत्पादक कंपनियों में शामिल हो गई है। एचएलएल की कुल वार्षिक कन्डोम उत्पादन क्षमता अब 1616 मिलियन कन्डोम हो गई है। केंद्र सरकार द्वारा विशेष रूप से ग्रामीण जिलों में कन्डोम मुफ्त बांटने की योजना के शुरू किए जाने के बाद देश-विदेश में कन्डोम की मांग में कई गुना वृद्धि हुई है। एचएलएल कंपनी ने अपनी ईकाइयों में उत्पादन क्षमता बढ़ाने का एक बड़ा अभियान शुरू किया है। इस कार्य योजना के सिलसिले में कंपनी द्वारा पेरूरकेडा स्थित अपनी उत्पादन ईकाई में दो नई मोल्डिंग मशीनों के लगाए जाने से उत्पादन क्षमता 1066 मिलियन कन्डोम से बढ़ाकर 1246 मिलियन कन्डोम वार्षिक हो गई है। यह कंपनी इसके अलावा अपनी बेलगाम और हैदराबाद स्थित ईकाईयों में भी कन्डोम तैयार करती है।
एचएलएल के अध्यक्ष और प्रबंधन निदेशक डॉ0 एम. अयप्पन ने बताया कि घरेलू और विदेशी बाजारों में मांग बढ़ रही है। इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए हम भी बड़े पैमाने पर विस्तार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले तीन महीनों में हमने 120 मिलियन कन्डोम की क्षमता बढ़ाई है। योजना के अनुसार उत्पादन का और विस्तार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमने अकेले स्वास्थ्य मंत्रालय को गतवर्ष लगभग 1040 मिलियन कन्डोम की आपूर्ति की। उन्होंने कहा कि जनसंख्या में ठहराव लाने के लिए सरकार ने घर-घर जाकर मुफ्त कन्डोम बांटने की योजना भी शुरू की है। इसके अलावा, लोगों में बढ़ती हुई जागरूकता के कारण भी घरेलू क्षेत्र में मांग बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि हम वर्ष 2013-14 के दौरान उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि करने और विश्व के अग्रणी उत्पादकों में बने रहने के बारे में विचार कर रहे हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस ओर विशेष ध्यान देने के लिए देश के 266 जिलों को चिन्हित किया है, जहां जनसंख्या नियंत्रण के प्रयासों के सिलसिले में प्रत्यायित सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (एएचएसए) की सहायता से घर-घर जाकर लोगों में गर्भ निरोधक बांटे जाएंगे। एचएलएल इस योजना के लिए उत्पादकों का मुख्य आपूर्तिकर्ता है।
इस कंपनी ने उत्पादन बढ़ाने और बर्बादी कम से कम करने के अभियान के सिलसिले में एक नई उत्पादन मशीन भी लगाई है। नई मशीन से उष्णता वितरण को सर्वाधिक स्तर पर रखने में सहायता मिलेगी। जिसके परिणामस्वरूप बिजली की खपत को कम करने के अलावा सामग्री की बर्बादी को कम किया जा सकेगा। कंपनी में पैकेट तैयार करने के कक्ष में ओवर-रेपिंग मशीन का प्रयोग स्तर पर उत्पादन भी शुरू किया है।
महिला कन्डोम, फेमीडोम
एचएलएल लाइफ केयर लिमिटेड के जरिए महिला कन्डोम भी भारतीय बाजारों में उपलब्ध हो गए हैं। हालांकि शहरी महिलाओं में इनकी बिक्री धीमी है, तथापि सरकारी संस्थाओं और गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) द्वारा एचआईवी/एड्स से बचाव के रूप में इसे सेक्स वर्करों में बढ़ावा दिया जा रहा है। डॉ0 एम. अयप्पन ने बताया कि भारतीय और विदेशी बाजारों के लिए इस समय हम लगभग तीन मिलियन महिला कन्डोम और 1600 मिलियन पुरूष कन्डोम तैयार कर रहे हैं। उन्होंने इसका कारण रूढि़वादी दृष्टिकोण, उत्पादक के बारे में अनभिज्ञता और उपलब्धता की कमी बताया है। चूंकि भारतीय बाजार इन उत्पादों को धीरे-धीरे स्वीकार करता है, इस कारण एचएलएल को पुरूष कन्डोम को लोकप्रिय बनाने में भी लगभग एक दशक लग गया था। डॉ0 अयप्पन ने इस बात का विश्वास व्यक्त किया कि आने वाले वर्षों में महिला कन्डोम भी सही दिशा में अपना स्थान बना सकेगा। कंपनी की 2013 के मध्य तक प्राकृतिक लेटेक्स आधारित महिला कन्डोम बाजार में उतारने की योजना है।
महिला कन्डोम 1980 के दशक में डेनमार्क के एक चिकित्सक डॉ0 लेस हैसल द्वारा अविष्कार किया गया था। पहली पीढ़ी का एफसीआई महिला कन्डोम पॉलीयूरेथेन से तैयार किया गया था। फेमीडोम या महिला कन्डोम 1990 के दशक में पहली बार बाजार में उतारा गया। उस समय लोग एड्स की दशहतपूर्ण वास्तविकता से रू-ब-रू हो रहे थे। कन्डोम अभी भी पुरूषों का उत्पाद समझा जाता है। विश्व स्तर पर महिला कन्डोम बाजार की आक्रामक तकनीकों के कारण लोगों का ध्यान जल्दी आकर्षित कर सका। विश्व के विभिन्न भागों से इसके बारे में मिलिजुली प्रतिक्रिया प्राप्त हुई। अन्य देशों में फेमीडोम में उन महिलाओं के जीवन में धीरे-धीरे फर्क ला दिया, जिनका इस उत्पाद के आने से पहले यौन स्वास्थ्य के मामले में कोई महत्व नहीं था। महिलाएं, कन्डोम इस्तेमाल करने से मना करने वाले सहयोगियों के प्रति अपनी रक्षा के लिए प्रयोग कर रही थी।
अधिकांश लोग महिला कन्डोम के बारे में अभी भी अनभिज्ञ हैं या फिर उनकी इन तक पहुंच नहीं है। खबरों के अनुसार इन कन्डोमों की मांग विकासशील देशों में अधिक है, जहां महिलाएं सुरक्षा की दृष्टि से अपने आपको सशक्त महसूस करती है।
महिला कन्डोम का नया रूप, एफसी-2 कम लागत पर सिन्थेटिक निटराइल से तैयार किया गया। विकासशील देशों में, जहां महिलाओं के लिए यौन शिक्षा कार्यक्रमों में फेमीडोम ने बड़ी भूमिका निभाई, विश्व सवास्थ्य संगठन ने संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों द्वारा खरीद के लिए एफसी-2 को मंजूरी दी।
आंध्र प्रदेश, केरल और महाराष्ट्र में हिन्दुस्तान लेटेक्स परिवार नियोजन प्रोत्साहन न्यास द्वारा किए गए अध्ययन से यह पता चला कि लोग महिला कन्डोम के विचार से सहमत है। सन् 2006 में आंध्र प्रदेश में सामाजिक विपणन कार्यक्रम के जरिए 90 हजार से अधिक महिला कन्डोम बाजार में उतारे गए। अगले वर्ष इसी प्रकार की एक योजना आंध्र पेदश, कर्नाटक, तमिलनाडु, गुजरात, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में कार्यान्वित की गई। 2008 में राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) ने आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में सेक्स वर्कर्स को महिला कन्डोम उपलब्ध कराने का निर्णय लिया। एफसी-2 महिला कन्डोम महिलाओं को अपने यौन स्वास्थ्य पर नियंत्रण और पसंद का अधिकार देता है, क्योंकि इससे महिलाएं उन परिस्थितियों में अपनी सुरक्षा कर सकती है, जब उनका सहयोगी पुरूष कन्डोम को प्रयोग करना नहीं चाहता। भारत के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं ने पहले से उपलब्ध परिवार नियोजन और एचआईवी/एड्स कार्यक्रम के पूरक के रूप में फेमडोम का प्रयोग करना शुरू नहीं किया है।
काकानाड में स्थित कोची विशेष आर्थिक क्षेत्र, एचएलएल की महिला कन्डोम बनाने की फैक्टरी है। डॉ0 एम. अयप्पन ने कहा कि कोची फैक्ट्री में महिला कन्डोम तैयार करने की वर्तमान वार्षिक क्षमता 7.5 मिलियन है। इस वर्ष के अंत तक इसमें और 25 मिलियन महिला कन्डोम तैयार होने लगेंगे। उन्होंने कहा कि हम स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय कार्यक्रमों के लिए महिला कन्डोम की आपूर्ति के अलावा दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (सार्क) के बाजारों में भी महिला कन्डोम का निर्यात करते हैं। उन्होंने कहा कि महिला कन्डोम में सुरक्षित यौन संबंधों में क्रांति लाने की क्षमता है। अवांछित गर्भ और एचआईवी से सुरक्षा के लिए आज एक मात्र यही उपाय उपलब्ध है। महिला कन्डोम दिवस विश्व स्तर पर हर वर्ष 12 सितंबर को मनाया जाता है। एचएलएल कंपनी वेलवेट नाम से महिला कनडोम तैयार करती हैं। (पसूका)
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*उपनिदेशक, पसूका, तिरूअनंतपुरम*स्वास्थ्य और परिवार कलयाण मंत्रालय के अधीन सार्वजनिक क्षेत्र प्रतिष्ठान एचएलएल लाइफ केयर लिमिटेड तिरूअनंतपुरम से साभार
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