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राष्ट्रपति कोविंद बोले, बिहार की धरती अन्नपूर्णा है .



khicha gaya krishi road map ka khaka

वन न्यूज़ लाइव मीडिया 
10. nov. 2017 
 बिहार की भूमि कितनी उर्वरा है  इसको  जानने देश के मिसाइल में व वैज्ञानिक पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम भी कई वार बिहार आये। बिहार का अधिकांश हिस्सा जहा एक ओर बाढ़ की मार झेलता है वही दूसरा हिस्सा सुखाड़ की चपेट में रहता है। काफी जान माल का नुकसान होता  है। फिर भी यहाँ के किसान हार को कबूल नहीं करते है. इस बार फिर यानि तीसरी वार कृषि रोड मैप की शुरूआत की गयी है। 

बिहार के तीसरे कृषि रोडमैप को लांच करने के तुरंत बाद समारोह को संबोधित करते हुएबापू भवन में  राष्ट्रपति ने कहा कि किसानों, कृषि, वैज्ञानिकों तथा अन्य स्टॉक होल्डरों से परामर्श के बाद बिहार सरकार ने 2008 से कृषि रोडमैप की शुरुआत की थी। इस रोडमैप में किसानों के विकास की व्यापक व्यवस्था की गई। कृषि से जुड़े सभी विभागों द्वारा किसानों की उन्नति को दिशा प्रदान की गई है। यह एक बुनियादी बदलाव है। इससे किसानों को फायदा हुआ है। राष्ट्रपति ने धान उत्पादन में 90 फीसदी वृद्धि को प्रभावशाली करार दिया। कहा कि खाद्यान्नों की उपज में वृद्धि के लिए बिहार को कई बार राष्ट्रपति द्वारा कृषि कर्मण पुरस्कार दिया गया है।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने कहा कि बिहार की धरती अन्नपूर्णा है। यहां ग्राउंड वाटर सुलभ है। बिहार के किसान जुझारू हैं। वे बाढ़ और सूखे की मार के बावजूद अपने काम में जुटे रहते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि तीसरा कृषि रोडमैप बिहार में कृषि को नई शक्ति प्रदान करेगा। इसके तहत शुरू की गई जैविक कॉरिडोर मछली पालन, सिंचाई, सहकारिता और बिजली से जुड़ी 9 योजनाओं के कार्यान्वयन से कृषि विकास को बल मिलेगा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जी ने जो संकल्प लिया है कि हर बिहारी की थाल में एक भारतीय व्यंजन होगा, उसे सुधा ने सहकारिता के क्षेत्र में एक साम्राज्य कायम करके आगे बढ़ाया है। छठ में सुधा की ओर से राष्ट्रपति भवन में बिहार का ‘ठेकुआ पहुंचा।

उन्होंने कहा कि इसबार के रोडमैप में जो चीजें बड़ा परिवर्तन ला सकती हैं उनमें से एक है जैविक कॉरिडोर। बिहार में प्रकृति ने जैविक खेती के लिए अनुकूल परिस्थितियां प्रदान की हैं। इनका लाभ उठाते हुए जैसा कि मुख्यमंत्री जी ने अपने संबोधन में कहा, गंगा के दोनों तटों के गांवों में जैविक कॉरिडोर विकसित करते हुए कृषि विकास को नया आयाम दिया जाएगा, यह एक सराहनीय कदम है।
राष्ट्रपति ने कहा कि इस रोडमैप में लैंड रेकॉर्ड को अपडेट करने का लक्ष्य अच्छी पहल है। किसानों को उत्पादों की उचित कीमत दिलाने के लिए मार्केटिंग और फूड प्रोसेसिंग और फलों-सब्जियों की सेल्फ लाइफ बढ़ाने का भी किसानों को फायदा होगा। अनाज व दूध उत्पादन, पशुपालन तथा मछली पालन को समेकित रूप से देखने तथा विकसित करने पर जोर एक उम्दा सोच है।

कोविन्द ने चंपारण सत्याग्रह के शताब्दी वर्ष में बिहार के तीसरे कृषि रोडमैप को लागू करने पर बिहार सरकार की तारीफ की। कहा कि नए कृषि रोडमैप को लागू करने का यह सर्वोत्तम अवसर है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने अपने सत्याग्रह के माध्यम से यही बताया था कि किसान ही भारतीय जीवन के केन्द्र हैं। किसान हम सबके अन्नदाता हैं, वे राष्ट्र निर्माता हैं। उनके निर्माण के लिए काम करना ही सही मायने में राष्ट्र निर्माण को शक्ति देना है। राष्ट्रपति ने कहा कि आधुनिक भारत के निर्माण में बिहार की विभूतियों ने अपना अमूल्य योगदान दिया है।

आज मुझे पटना में राजेन्द्र प्रसाद और जेपी की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण का सुअवसर मिला। राजेन्द्र बाबू को तो मैं रोज प्रणाम करता हूं। राष्ट्रपति भवन में जहां से भी गुजरो उन्हीं की फोटो दिखाई देती है। कृतज्ञ राष्ट्र भारत ने इन दोनों के साथ ही बक्सर के उस्ताद बिस्मिल्लाह खान को भारत रत्न से नवाजा। राष्ट्रपति ने वीर कुंवर सिंह, जगजीवन राम, कर्पूरी ठाकुर, योगगुरु सत्यानंद स्वामी के योगदानों को याद किया।
एक कड़ी राजभवन-ज्ञानभवन और राष्ट्रपति भवन
राष्ट्रपति ने कहा कि बिहार में करीब दो साल राज्यपाल के रूप में रहा। राज्यपाल के कार्यकाल के दौरान बिहार में सभी वर्गों, सभी क्षेत्रों के लोगों का मुझे जो स्नेह मिला उसे मैं जीवनभर याद रखूंगा। राष्ट्रपति के रूप में पहली बार बिहार मेरे लिए कई मायनों में एक सुखद अनुभव है। इसे मैं एक कड़ी के रूप में देखता हूं। राजभवन-ज्ञान भवन और राष्ट्रपति भवन। तब बापू सभागार तैयार नहीं हुआ था पर ज्ञान भवन में आने का अवसर मिला।
राष्ट्रपति ने कहा कि इस प्रदेश की संस्कृति, यहां के महापुरुषों का ज्ञान, बुद्ध और महावीर का ज्ञान और इन्हें हासिल करते-करते राष्ट्रपति भवन पहुंचने का अवसर मिला। बिहार ने जिस ज्ञान को बांटा है, पूरी दुनिया ने जिसे समेटा है, उस ज्ञान को यदि आप हासिल नहीं कर सके तो मुझे लगता है आपका राजभवन में रहना अधूरा है। उसी तरह यदि राष्ट्रपति भवन में पहुंचकर भी यदि हम बापू के आदर्शों पर न चल सके तो मुझे लगता है राष्ट्रपति भवन में भी पहुंचना अधूरा है। श्री कोविन्द ने कहा कि उनके लिए सिर्फ बिहार में पैदा होना ही बिहारीपन नहीं है। उनके लिए सबसे बड़ा बिहारीपन है बिहार की सभ्यता, संस्कृति, महापुरुषों का ज्ञान हासिल करना।

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