बिहार वन न्यूज़ /नेहा
रांची के मोरहाबादी मैदान में इनदिनों राष्ट्रीय खादी एवं सरस मेला लगा हुआ है. ये मेला झारखंड की महिला उद्यमियों को नई पहचान दिला रही है.
17 दिनों तक चलने वाले इस मेले में देश के विभिन्न राज्यों से आकर महिला उद्यमियां स्टॉल लगाई हैं. इन्हें इस बात की खुशी है कि इस मेले के माध्यम से उन्हें एक मंच मिला है, जो उनके हुनर को नई पहचान दे रहा है. इन महिलाओं का मानना है कि ग्रामिण महिलाएं ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं होती हैं, पर पापड़, आचार, बड़ी बनाकर वो खुद को स्वरोजगार से जोड़ रही हैं.
मांझी की रहने वाली जीतन देवी की माने तो वो अपना नाम लिखने के अलावा पढ़ना-लिखना नहीं जानती. लेकिन पति के सहयोग से बांस के सामान बनाती हैं और बाजार में बेचती हैं. जिससे अच्छी कमाई हो जाती है. बतौर जीतन देवी पढ़े-लिखे ना होने का उन्हें कोई मलाल नहीं. मेले में आकर उन्हें ना केवल अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिला, बल्कि अन्य महिला उद्यमियों से काफी कुछ सीखने के भी अवसर प्राप्त हुए.
खादी एवं सरस मेले के आयोजक और खादी बोर्ड के अध्यक्ष की संजय सेठ की माने तो मेले का मुख्य उद्देश्य महिला उद्यमियों को एक प्लेटफार्म देना है.
रांची के मोरहाबादी मैदान में इनदिनों राष्ट्रीय खादी एवं सरस मेला लगा हुआ है. ये मेला झारखंड की महिला उद्यमियों को नई पहचान दिला रही है.
17 दिनों तक चलने वाले इस मेले में देश के विभिन्न राज्यों से आकर महिला उद्यमियां स्टॉल लगाई हैं. इन्हें इस बात की खुशी है कि इस मेले के माध्यम से उन्हें एक मंच मिला है, जो उनके हुनर को नई पहचान दे रहा है. इन महिलाओं का मानना है कि ग्रामिण महिलाएं ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं होती हैं, पर पापड़, आचार, बड़ी बनाकर वो खुद को स्वरोजगार से जोड़ रही हैं.
मांझी की रहने वाली जीतन देवी की माने तो वो अपना नाम लिखने के अलावा पढ़ना-लिखना नहीं जानती. लेकिन पति के सहयोग से बांस के सामान बनाती हैं और बाजार में बेचती हैं. जिससे अच्छी कमाई हो जाती है. बतौर जीतन देवी पढ़े-लिखे ना होने का उन्हें कोई मलाल नहीं. मेले में आकर उन्हें ना केवल अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिला, बल्कि अन्य महिला उद्यमियों से काफी कुछ सीखने के भी अवसर प्राप्त हुए.
खादी एवं सरस मेले के आयोजक और खादी बोर्ड के अध्यक्ष की संजय सेठ की माने तो मेले का मुख्य उद्देश्य महिला उद्यमियों को एक प्लेटफार्म देना है.
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