Skip to main content

samastipur ka kali pith silpkala ka bejor namuna

सुजीत कुमार 'पप्पू', समस्तीपुर : शहर के टुनटुनिया गुमटी (फुट ओवरब्रिज) से सटे कालीपीठ की भव्यता और दिव्यता देखते ही बनती है। यह मंदिर परंपरागत स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है। यहां तीनों महाशक्तियां महाकाली, महालक्ष्मी व महासरस्वती विराजमान हैं। मंदिर में एकबार आने मात्र से परम शांति की अनुभूति होती है। कहते हैं कि यहां आने वाले भक्तों का तीनों महाशक्तियां मिलकर कल्याण करती हैं। सच्चे मन से जो कुछ भी मांगा जाता है, वह मनोरथ अवश्य पूरा होता है। मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है।
बताते चलें कि समस्तीपुर जंक्शन के समीप अवस्थित इस कालीपीठ का निर्माण 1982 में मधुबनी जिला के मिलखवार निवासी कैलाश बाबा के प्रयास से हुआ था। इसकी स्थापना की जद में बड़ी रोचक कहानी है। पुजेरी पं. वसंत झा बताते हैं कि पिता जी (ब्रह्मालीन पं. कैलाश झा) आरएमएस में नौकरी करते थे। 1971 में उनका तबादला समस्तीपुर स्टेशन स्थित आरएमएस में हो गया। वे यहां आ गए। वे शक्ति के परम उपासक थे। यहां आने के आठ वर्ष बाद उन्हें मां की प्रेरणा मिली। वे वर्ष 1980 में सावन पूर्णिमा को हवन यज्ञ कर रहे थे। संध्या बेला में एक बूढ़ी माता आई और बोली कि हवन यहां नहीं वहां (कुछ दूर अलग इंगित करती हुई) करो। वहीं पर तुम अपनी साधना भी करना। यह कहकर वह चली गई। जिधर बूढ़ी माता ने इंगित किया था, उस स्थान पर घास-फूस उगे थे। मगर, सुबह वह स्थान बिल्कुल चमक रहा था। अचानक एक आदमी वहां आकर काली माता का फोटो दे गया। फोटो रखकर वहां कैलाश बाबा पूजा-उपासना करने लगे। भक्तों की भीड़ जुटने लगी। अनवरत पूजा-आराधना शुरू हो गई। माता की अनुकंपा और भक्तों की श्रद्धा से 1982 में यहां मंदिर बनकर तैयार हो गया। इसमें मां महाकाली की आदमकद दिव्य प्रतिमा प्रतिष्ठापित की गई। बाद में 1999 में मां के गर्भगृह से सटे पूरब माता महालक्ष्मी और 2000 में पश्चिम में माता महासरस्वती की स्थापना कराई गई। मंदिर के सामने हवन कुंड है। नवरात्र में कलश स्थापना के दिन और नवमी को हवन करने के लिए भक्तों की अपार भीड़ उमड़ पड़ती है। प्रत्येक गुरूवार और शनिवार की शाम यहां भक्ति संगीत की सरिता बहती है।

Comments

Popular posts from this blog

नियोजित शिक्षक के पक्ष में अभी भी नहीं दिखती सुशासन सरकार  बिहार वन मीडिया/ किरण कुमारी  बिहार में पटना हाइकोर्ट ने पिछले मंगलवार यानि 31 octobar 2017  को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि अब समान काम के लिए समान वेतन लागू होगा। चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन की खंडपीठ ने नियोजित शिक्षकों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि यह फैसला लागू किया जाना चाहिए नहीं तो इसे संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन माना जाएगा। हाइकोर्ट ने नियोजित शिक्षकों की याचिका को सुरक्षित रखते हुए आज इसपर सुनवाई की। कोर्ट ने नियोजित शिक्षकों के समान काम के लिए समान वेतन की याचिका को सही ठहराया है। इस फैसले के बाद शिक्षकों को बड़ी राहत मिलेगी। समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग को लेकर राज्य के नियोजिक शिक्षकों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। मालूम हो कि बिहार के नियोजित शिक्षक अपनी इस मांग को लेकर काफी दिनों से आंदोलनरत थे। कोर्ट के इस फैसले का विभिन्न शिक्षक संघों ने स्वागत करते हुए इसे न्याय की जीत करार दिया है। नियोजित शिक्षकों की ओर से ...
 बिहार के खनन निरीक्षक करोड़ों के मालिक हैं। खनन अफसरों के घर शुक्रवार को हुई छापेमारी में ये बातें सामने आयी। शुक्रवार को बिहार के दो खनन निरीक्षकों के विभिन्न ठिकानों पर आर्थिक अपराध ईकाई की टीम ने छापा मारा। इन दोनों अधिकारियों वीरेंद्र यादव (गोपालगंज) और झकारी राम (शेखपुरा) के यहां से तकरीबन दस करोड़ की संपत्ति मिली है। पटना में झकारी राम के यहां एक करोड़ 64  लाख 34 हजार नकद मिले। इन नोटों को गिनने के लिए स्टेट बैंक से मशीन मंगानी पड़ी।   इस बीच शुक्रवार को ही जब आर्थिक अपराध ईकाई की टीम ने वीरेंद्र यादव के घर और कार्यालय में छापेमारी की तो परत दर परत सारी चीजें ऊपर आने लगी। छापेमारी उनकी कार्याफय, मुजफ्फरपुर स्थित आवास, पैतृक गांव बरियारपुर में की गयी। शुक्रवार की सुबह मुजफ्फरपुर के रामदयालु नगर मुक्तिनाथ मंदिर स्थित तीन मंजिले मकान में अधिकारियों ने छापा मारा। गुरुवार को पटना के आर्थिक अपराध थाने में इनके खिलाफ मामला दर्ज किया था।   अब तक की छापेमारी में लगभग 2 करोड़ की संपत्ति अर्जित करने का खुलासा हो चुका है। वीरेंद्र यादव पिछले कई माह से गोपाल...

समाज का प्रतिदर्पण है साहित्यकार

                                                    समाज का प्रतिदर्पण है साहित्यकार  राम बालक राय /बिहारवन वेब  ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय की अंगीभूत इकाई समस्तीपुर महाविद्यालय समस्तीपुर परिसर में अंग्रेजी विभाग के तत्वाधान में  द एजुकेशन फंक्शन ऑफ़ लिटरेचर विषय पर आयोजित एक दिवसीय शैक्षिक सेमीनार का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता डॉक्टर प्रभात कुमार ने मिथिलांचल के शैक्षिक व साहित्यिक आयाम को मजबूती से रेखांकित करते हुए कहा की अच्छा साहित्यकार व्यक्ति व समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझता है।  वह प्रगतिशीलता की मशाल को हमेशा जलाये रखता है. साहित्यकार के पास सामाजिक विकाश के पक्ष को बल देने हेतु तत्पर रहता है. उनकी अपनी बौद्धिक जिज्ञाषा होती है जिसे वह शब्दो में बाहर लाता है. वे बिना किसी पूर्वाग्रह के समझने की कोशिश करता है। जो  साहित्यकार यह नहीं समझ सका वह समाजोपयोगी कलाकृति का दावा नहीं कर सकता।   किसी ...