Skip to main content

विशेष राज्य का दर्जा के लिये निर्धारित मापदंडों में परिवर्तन होना चाहिये:- मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने आज अनुग्रह नारायण सिन्हा समाज अध्ययन संस्थान एवं शिक्षा विभाग के संयुक्त तत्वावधान में ए0एन0 सिन्हा इन्स्टीच्यूट में दो दिवसीय क्मअमसवचउमदज बींससमदहमे व िमगबसनेपअम ंदक ैजतंजमहपमे वित पदबसनेपअम हतवूजी विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलित कर किया तथा कहा कि पिछड़े राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने के लिये निर्धारित मापदंडों में परिवर्तन किया जाना आवश्यक है। निर्धारित फाॅर्मूला के अनुसार जो राज्य प्रति व्यक्ति निवेश, आय, बिजली खपत, उत्पादन, आधारभूत संरचना में राष्ट्रीय औसत के नीचे हों, उन्हें विकास का लाभ दिये जाने के लिये विशेष राज्य का दर्जा दिया जाय। बिहार का ग्रोथ दर सर्वाधिक है, फिर भी इसी दर से हम तरक्की करते रहे तो भी हमें राष्ट्रीय औसत के निकट पहुॅचने में 25 वर्ष से अधिक का समय लगेगा, ऐसी स्थिति में बिहार के साथ हुये भेदभाव की भरपाई के लिये बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिये।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय संगोष्ठी का विषय बहुत ही सामयिक है। समावेशी विकास का उद्देश्य यह रहे कि किसी को भी इसमें नहीं छोड़ा जाय। समाज के सभी वर्ग, तबके और क्षेत्रों का विकास हो। हम राज्य में न्याय के साथ विकास पर बल दे रहे हैं। हर क्षेत्र में विकास दिखे, ऐसा प्रयास किया जा रहा है। इस तरह के संगोष्ठी का आयोजन ए0एन0 सिन्हा इन्स्टीच्यूट को दिल्ली में भी करना चाहिये ताकि बौद्धिक जगत पर दवाब पड़े और उन्हें विकास की वास्तविकता से अवगत कराया जा सके। समावेशी विकास के लिये कार्यक्रम एवं कार्ययोजनायें बनायी जाय।

Comments

Popular posts from this blog

नियोजित शिक्षक के पक्ष में अभी भी नहीं दिखती सुशासन सरकार  बिहार वन मीडिया/ किरण कुमारी  बिहार में पटना हाइकोर्ट ने पिछले मंगलवार यानि 31 octobar 2017  को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि अब समान काम के लिए समान वेतन लागू होगा। चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन की खंडपीठ ने नियोजित शिक्षकों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि यह फैसला लागू किया जाना चाहिए नहीं तो इसे संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन माना जाएगा। हाइकोर्ट ने नियोजित शिक्षकों की याचिका को सुरक्षित रखते हुए आज इसपर सुनवाई की। कोर्ट ने नियोजित शिक्षकों के समान काम के लिए समान वेतन की याचिका को सही ठहराया है। इस फैसले के बाद शिक्षकों को बड़ी राहत मिलेगी। समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग को लेकर राज्य के नियोजिक शिक्षकों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। मालूम हो कि बिहार के नियोजित शिक्षक अपनी इस मांग को लेकर काफी दिनों से आंदोलनरत थे। कोर्ट के इस फैसले का विभिन्न शिक्षक संघों ने स्वागत करते हुए इसे न्याय की जीत करार दिया है। नियोजित शिक्षकों की ओर से ...
 बिहार के खनन निरीक्षक करोड़ों के मालिक हैं। खनन अफसरों के घर शुक्रवार को हुई छापेमारी में ये बातें सामने आयी। शुक्रवार को बिहार के दो खनन निरीक्षकों के विभिन्न ठिकानों पर आर्थिक अपराध ईकाई की टीम ने छापा मारा। इन दोनों अधिकारियों वीरेंद्र यादव (गोपालगंज) और झकारी राम (शेखपुरा) के यहां से तकरीबन दस करोड़ की संपत्ति मिली है। पटना में झकारी राम के यहां एक करोड़ 64  लाख 34 हजार नकद मिले। इन नोटों को गिनने के लिए स्टेट बैंक से मशीन मंगानी पड़ी।   इस बीच शुक्रवार को ही जब आर्थिक अपराध ईकाई की टीम ने वीरेंद्र यादव के घर और कार्यालय में छापेमारी की तो परत दर परत सारी चीजें ऊपर आने लगी। छापेमारी उनकी कार्याफय, मुजफ्फरपुर स्थित आवास, पैतृक गांव बरियारपुर में की गयी। शुक्रवार की सुबह मुजफ्फरपुर के रामदयालु नगर मुक्तिनाथ मंदिर स्थित तीन मंजिले मकान में अधिकारियों ने छापा मारा। गुरुवार को पटना के आर्थिक अपराध थाने में इनके खिलाफ मामला दर्ज किया था।   अब तक की छापेमारी में लगभग 2 करोड़ की संपत्ति अर्जित करने का खुलासा हो चुका है। वीरेंद्र यादव पिछले कई माह से गोपाल...

समाज का प्रतिदर्पण है साहित्यकार

                                                    समाज का प्रतिदर्पण है साहित्यकार  राम बालक राय /बिहारवन वेब  ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय की अंगीभूत इकाई समस्तीपुर महाविद्यालय समस्तीपुर परिसर में अंग्रेजी विभाग के तत्वाधान में  द एजुकेशन फंक्शन ऑफ़ लिटरेचर विषय पर आयोजित एक दिवसीय शैक्षिक सेमीनार का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता डॉक्टर प्रभात कुमार ने मिथिलांचल के शैक्षिक व साहित्यिक आयाम को मजबूती से रेखांकित करते हुए कहा की अच्छा साहित्यकार व्यक्ति व समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझता है।  वह प्रगतिशीलता की मशाल को हमेशा जलाये रखता है. साहित्यकार के पास सामाजिक विकाश के पक्ष को बल देने हेतु तत्पर रहता है. उनकी अपनी बौद्धिक जिज्ञाषा होती है जिसे वह शब्दो में बाहर लाता है. वे बिना किसी पूर्वाग्रह के समझने की कोशिश करता है। जो  साहित्यकार यह नहीं समझ सका वह समाजोपयोगी कलाकृति का दावा नहीं कर सकता।   किसी ...