Skip to main content

शिक्षा के लिए किसी दूसरे देश का चयन करने से पूर्व

शिक्षा के लिए किसी दूसरे देश का चयन करने से पूर्व विद्यार्थी यह जरूर देखते हैं कि कौन सा देश उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर की एजूकेशन दे सकता है। वह उनके लिए कितना सुरक्षित है और वहां के लोगों का व्यवहार उनके प्रति अच्छा होगा कि नहीं। इन चीजों पर भलीभांति विचार-विमर्श करने के बाद जिन देशों के नाम विद्यार्थियों के सामने आते हैं, फिनलैंड उन्हीं में से एक है।
सामान्य जानकारी
बाल्टिक सागर के तट पर स्थित फिनलैंड को सन 1917 में रूसी साम्राज्य से स्वतंत्रता मिली थी। घने जंगलों से आच्छादित यह देश अर्थव्यवस्था के मामले में अच्छा माना जाता है। कागज और कागजी उत्पादों का मुख्य रूप से निर्यात किया जाता है। मत्स्य उद्योग के लिहाज से भी यह प्रमुख देश है।
आगे बढते कदम
अपनी अंतरराष्ट्रीय स्तर की शिक्षा एवं उच्च स्तरीय जीवनशली के चलते एक अच्छे स्टडी एब्रॉड केंद्र में तब्दील होता जा रहा है। सन 1995 में यूरोपीय यूनियन की सदस्यता ग्रहण करने के बाद शिक्षा क्षेत्र में अभूतपूर्व परिवर्तन देखने को मिले हैं। छात्रों को जर्मनी, फ्रांस, इटली, यूके आदि देशों की तरह बेहतरीन से बेहतरीन सुविधाएं वहां उपलब्ध कराई जा रही हैं। भाषाएं फिनिश एवं स्विडिश यहां की आधिकारिक भाषाएं हैं। कम आबादी वाले इस देश के अधिकांश नागरिक अच्छी तरह अंग्रेजी भाषा में संवाद एवं लेखन करने की कला में निपुण हैं। अगर आपको अच्छी अंग्रेजी आती है तो यह यकीन मानिए वहां आपको भाषागत समस्या का सामना नहीं करना पडेगा। इस देश में शिक्षा के दौरान आप स्थानीय लोगों के संपर्क में रह कर फिनिश एवं स्विडिश लैंग्वेज की सामान्य जानकारी हासिल कर सकते हैं।
आदर्श व्यवस्था
यूरोप के अधिकतर देशों की तरह फिनलैंड भी प्रशासनिक व्यवस्था और नियम-कानून के मामले में अच्छा माना जाता है। प्राकृतिक सौंदर्य, आदर्श पर्यावरण, शांतिप्रिय समाज और मित्रवत व्यवहार इसकी पहचान है। घने जंगलों एवं ऐतिहासिक महत्व की चीजों के लिए भी फिनलैंड को जाता है।
हाईटेक देश
फिनलैंड एक हाईटेक देश है। नोकिया मोबाइल कंपनी इसी देश की ही है जिसने पूरी दुनिया के अधिकतर घरों में अपनी पहुंच बनाने में सफलता हासिल की है। नोकिया का इस समय मोबाइल हैंडसेट सेल के मामले में दूसरा स्थान है।
परिवर्तन की सोच
हमने अच्छा किया है लेकिन इसमें अभी और भी सुधार की जरूरत है। जिसे हम जल्द ही कर लेंगे। इस तरह की सोच यहां के नागरिकों में है। यहां के लोगों का हमेशा यह प्रयास रहता है कि किस तरह पुरानी तकनीक में नई तकनीक का समावेश करके उसे उन्नत बनाया जाए। इस देश की प्रगति के पीछे कहीं न कहीं यही सोच है।
टेकिन्कल एजूकेशन
यह टेकिन्कल एजूकेशन के लिए अच्छा देश माना जाता है। अगर आप कम्युनिकेशन एवं टेकनेलॉजी से संबंधित कोई कोर्स फिनलैंड से करते हैं तो अच्छी जॉब के बेहतरीन अवसर हमेशा आपके सामने उपलब्ध रहेंगे। इंटरनेट कनेक्शन के मामले में भी यह अग्रणीय देशों में शामिल है।
फिनलैंड क्यों
अगर आप विदेश में उच्च शिक्षा के लिए फिनलैंड का चयन करते हैं तो आपका निर्णय शतप्रतिशत सही साबित होगा। यह एक बेहतरीन एजूकेशन सिस्टम वाला देश है। यहां साक्षरता दर तकरीबन शतप्रतिशत है और कार्यक्षमता एवं बौद्धिक बल में यह किसी से कम नहीं है।
विश्वविद्यालय
विश्वविद्यालयों की विश्व वरीयता सूची 2010 में इस देश की सात यूनिवर्सिटियों को शामिल किया गया था। शक्षिक गुणवत्ता के आधार पर हेलसिंकी विश्वविद्यालय प्रथम स्थान पर है। अधिकतर विद्यार्थी उच्चवल भविष्य के लिए इस विश्वविद्यालय में ही प्रवेश हासिल करना चाहते हैं।
एजूकेशन सिस्टम
फिनिश हायर एजूकेशन सिस्टम मुख्यत: विश्वविद्यालयों एवं पॉलीटेकिन्क पर आधारित है। वहां के विश्वविद्यालयों में बैचलर, मास्टर्स एवं डॉक्ट्रेट डिग्री प्रदान की जाती है। पॉलीटेकिन्क में व्यवसाय संबंधी शिक्षा दी जाती है। टेकनेलॉजी एंड ट्रांसपोर्ट, बिजनेस एंड एडमिनिस्ट्रेशन, हेल्थ एंड सोशल साइंस, कल्चर, टूरिज्म, मैनेजमेंट, नेचुरल रिसोर्सेज आदि कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जिनकी शिक्षा के प्रति विद्यार्थियों का रुझान बढ रहा है। वहां बहुत से कोर्सो के लिए अध्ययन की भाषा अंग्रेजी है।

Comments

Popular posts from this blog

नियोजित शिक्षक के पक्ष में अभी भी नहीं दिखती सुशासन सरकार  बिहार वन मीडिया/ किरण कुमारी  बिहार में पटना हाइकोर्ट ने पिछले मंगलवार यानि 31 octobar 2017  को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि अब समान काम के लिए समान वेतन लागू होगा। चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन की खंडपीठ ने नियोजित शिक्षकों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि यह फैसला लागू किया जाना चाहिए नहीं तो इसे संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन माना जाएगा। हाइकोर्ट ने नियोजित शिक्षकों की याचिका को सुरक्षित रखते हुए आज इसपर सुनवाई की। कोर्ट ने नियोजित शिक्षकों के समान काम के लिए समान वेतन की याचिका को सही ठहराया है। इस फैसले के बाद शिक्षकों को बड़ी राहत मिलेगी। समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग को लेकर राज्य के नियोजिक शिक्षकों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। मालूम हो कि बिहार के नियोजित शिक्षक अपनी इस मांग को लेकर काफी दिनों से आंदोलनरत थे। कोर्ट के इस फैसले का विभिन्न शिक्षक संघों ने स्वागत करते हुए इसे न्याय की जीत करार दिया है। नियोजित शिक्षकों की ओर से ...
 बिहार के खनन निरीक्षक करोड़ों के मालिक हैं। खनन अफसरों के घर शुक्रवार को हुई छापेमारी में ये बातें सामने आयी। शुक्रवार को बिहार के दो खनन निरीक्षकों के विभिन्न ठिकानों पर आर्थिक अपराध ईकाई की टीम ने छापा मारा। इन दोनों अधिकारियों वीरेंद्र यादव (गोपालगंज) और झकारी राम (शेखपुरा) के यहां से तकरीबन दस करोड़ की संपत्ति मिली है। पटना में झकारी राम के यहां एक करोड़ 64  लाख 34 हजार नकद मिले। इन नोटों को गिनने के लिए स्टेट बैंक से मशीन मंगानी पड़ी।   इस बीच शुक्रवार को ही जब आर्थिक अपराध ईकाई की टीम ने वीरेंद्र यादव के घर और कार्यालय में छापेमारी की तो परत दर परत सारी चीजें ऊपर आने लगी। छापेमारी उनकी कार्याफय, मुजफ्फरपुर स्थित आवास, पैतृक गांव बरियारपुर में की गयी। शुक्रवार की सुबह मुजफ्फरपुर के रामदयालु नगर मुक्तिनाथ मंदिर स्थित तीन मंजिले मकान में अधिकारियों ने छापा मारा। गुरुवार को पटना के आर्थिक अपराध थाने में इनके खिलाफ मामला दर्ज किया था।   अब तक की छापेमारी में लगभग 2 करोड़ की संपत्ति अर्जित करने का खुलासा हो चुका है। वीरेंद्र यादव पिछले कई माह से गोपाल...

समाज का प्रतिदर्पण है साहित्यकार

                                                    समाज का प्रतिदर्पण है साहित्यकार  राम बालक राय /बिहारवन वेब  ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय की अंगीभूत इकाई समस्तीपुर महाविद्यालय समस्तीपुर परिसर में अंग्रेजी विभाग के तत्वाधान में  द एजुकेशन फंक्शन ऑफ़ लिटरेचर विषय पर आयोजित एक दिवसीय शैक्षिक सेमीनार का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता डॉक्टर प्रभात कुमार ने मिथिलांचल के शैक्षिक व साहित्यिक आयाम को मजबूती से रेखांकित करते हुए कहा की अच्छा साहित्यकार व्यक्ति व समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझता है।  वह प्रगतिशीलता की मशाल को हमेशा जलाये रखता है. साहित्यकार के पास सामाजिक विकाश के पक्ष को बल देने हेतु तत्पर रहता है. उनकी अपनी बौद्धिक जिज्ञाषा होती है जिसे वह शब्दो में बाहर लाता है. वे बिना किसी पूर्वाग्रह के समझने की कोशिश करता है। जो  साहित्यकार यह नहीं समझ सका वह समाजोपयोगी कलाकृति का दावा नहीं कर सकता।   किसी ...