साभार जागरण
लागू हो सामान्य स्कूली शिक्षा प्रणाली : मुचकुंद दुबे
देश भर में सामान्य स्कूल प्रणाली लागू होने के बाद ही
स्कूली शिक्षा में सुधार हो सकता है। उक्त बातें बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ
व वालन्ट्री फोरम फार एजुकेशन, बिहार के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय
संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए सामान्य स्कूल प्रणाली आयोग के पूर्व अध्यक्ष
प्रो. मुचकुंद दूबे ने पटना में कहीं। गुरुवार को तीन सत्रों में कार्यक्रम का
आयोजन किया गया था।
प्रो. दूबे ने कहा कि जब वे सामान्य स्कूल प्रणाली आयोग के अध्यक्ष थे उस समय सरकार के पास जो भी रिपोर्ट सौंपी थी, उसे सरकार ने आगे नहीं बढ़ाया। उस पर काम रुक गया। उन्होंने शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीइ) की आलोचना करते हुए कहा कि इसके लिए जो मानक तय किये गये थे, उसका पालन नहीं हो रहा है। 0-6 व 14-18 वर्ष के बच्चे इन अधिकारों से वंचित ही रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व सांसद सह बिहार माध्यमिक शिक्षा संघ के शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने शिक्षा बचाओ, देश बचाओ का नारा लगाते हुए कहा कि वे अब गिरती शिक्षा व्यवस्था के खिलाफ आंदोलन करेंगे तथा लोगों को इसके लिए जागरूक करेंगे। माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव केदार नाथ पांडेय ने सामान्य स्कूल प्रणाली पर कहा कि सामान्य स्कूल प्रणाली और अच्छे अध्यापक से शिक्षा में सुधार होगा। नियमित एवं पूर्ण कालिक शिक्षकों की बहाली होनी चाहिए। इससे शिक्षण के पेशे में प्रतिष्ठा, सुरक्षा और स्थायित्व आयेगा। शिक्षकों का वेतन, भत्ता उनकी शैक्षिक योग्यता एवं पेशागत दायित्व को ध्यान में रखते हुए निर्धारित किया जाना चाहिए।
अम्बरीश राय ने कहा कि देश में प्राइवेट संस्था द्वारा शिक्षा की जरूरत पूरी की नहीं जा सकती है। सरकार प्राइवेट स्कूलों को मजबूत कर रही है, लेकिन सरकारी स्कूलों का स्तर गिरता जा रहा है। सरकार केंद्रीय विद्यालय के एक बच्चे पर 20 हजार रुपये सालाना खर्च करती है जबकि सरकारी स्कूल पर 5 हजार रुपये ही खर्च करती है। इसके कारण इन स्कूलों में मूलभूत सुविधा भी नहीं है। विजय कुमार सिंह ने कहा कि सरकार ही शिक्षा में विषमता पैदा कर रही है। कार्यक्रम को प्रो. विनय कंठ, प्रो. डीएम दिवाकर, विनय ओहदार व अक्षय कुमार आदि ने भी संबोधित किया। धन्यवाद ज्ञापन शैक्षिक परिषद के संयोजक ठाकुर धीरेंद्र सिंह ने किया।
लागू हो सामान्य स्कूली शिक्षा प्रणाली : मुचकुंद दुबे
प्रो. दूबे ने कहा कि जब वे सामान्य स्कूल प्रणाली आयोग के अध्यक्ष थे उस समय सरकार के पास जो भी रिपोर्ट सौंपी थी, उसे सरकार ने आगे नहीं बढ़ाया। उस पर काम रुक गया। उन्होंने शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीइ) की आलोचना करते हुए कहा कि इसके लिए जो मानक तय किये गये थे, उसका पालन नहीं हो रहा है। 0-6 व 14-18 वर्ष के बच्चे इन अधिकारों से वंचित ही रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व सांसद सह बिहार माध्यमिक शिक्षा संघ के शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने शिक्षा बचाओ, देश बचाओ का नारा लगाते हुए कहा कि वे अब गिरती शिक्षा व्यवस्था के खिलाफ आंदोलन करेंगे तथा लोगों को इसके लिए जागरूक करेंगे। माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव केदार नाथ पांडेय ने सामान्य स्कूल प्रणाली पर कहा कि सामान्य स्कूल प्रणाली और अच्छे अध्यापक से शिक्षा में सुधार होगा। नियमित एवं पूर्ण कालिक शिक्षकों की बहाली होनी चाहिए। इससे शिक्षण के पेशे में प्रतिष्ठा, सुरक्षा और स्थायित्व आयेगा। शिक्षकों का वेतन, भत्ता उनकी शैक्षिक योग्यता एवं पेशागत दायित्व को ध्यान में रखते हुए निर्धारित किया जाना चाहिए।
अम्बरीश राय ने कहा कि देश में प्राइवेट संस्था द्वारा शिक्षा की जरूरत पूरी की नहीं जा सकती है। सरकार प्राइवेट स्कूलों को मजबूत कर रही है, लेकिन सरकारी स्कूलों का स्तर गिरता जा रहा है। सरकार केंद्रीय विद्यालय के एक बच्चे पर 20 हजार रुपये सालाना खर्च करती है जबकि सरकारी स्कूल पर 5 हजार रुपये ही खर्च करती है। इसके कारण इन स्कूलों में मूलभूत सुविधा भी नहीं है। विजय कुमार सिंह ने कहा कि सरकार ही शिक्षा में विषमता पैदा कर रही है। कार्यक्रम को प्रो. विनय कंठ, प्रो. डीएम दिवाकर, विनय ओहदार व अक्षय कुमार आदि ने भी संबोधित किया। धन्यवाद ज्ञापन शैक्षिक परिषद के संयोजक ठाकुर धीरेंद्र सिंह ने किया।
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