Skip to main content

antrikshak me pslv c 23 ka uran

  • jahagir alam |
  • Big font Small font
श्रीहरिकोटा स्थित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से पीएसएलवी सी-23 ने सोमवार की सुबह विराट अंतरिक्ष के विस्तार की ओर उड़ान भरा. यह यान अपने साथ पांच उपग्रहों- फ्रांस का स्पॉट-7, जर्मनी का आइसैट, कनाडा के कैन एक्स 4 व 5, सिंगापुर का वेलोक्स-1-को भी लेकर गया है.
इससे पूर्व इसरो 19 देशों के 35 उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण कर चुका है. इस सफल प्रक्षेपण से संस्थान की उपलब्धियों में एक नया अध्याय जुड़ा है. यह परिघटना हमारे अंतरिक्ष वैज्ञानिकों और तकनीकी विशेषज्ञों की मेधा व मेहनत का एक और गौरवपूर्ण  उदाहरण है. वैसे तो यह प्रक्षेपण इसरो के पूर्ववर्ती प्रक्षेपणों की तरह एक विशेष आयोजन था, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति ने इसे एक विशिष्ट अवसर बना दिया.
यह सिर्फ इसलिए नहीं कि वे अपने वैज्ञानिकों व विशेषज्ञों को बधाई देने के लिए स्वयं मौजूद थे, बल्कि इसलिए कि उनके संबोधन में कुछ महत्वपूर्ण उल्लेख थे. मोदी ने दशकों की उपलब्धियों व अनुसंधान का अभिनंदन कर इस बात को फिर से रेखांकित किया कि सरकारें बदलती रहें, राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता चलती रहे, नीतियों व कार्यक्रमों पर बहस होती रहे, लेकिन विज्ञान व तकनीक के क्षेत्र की उपलब्धियां सामूहिक रूप से देश की हैं और उनकी निरंतरता निर्बाध बनी रहनी चाहिए.
दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रधानमंत्री ने इसरो से दक्षिण एशिया के पड़ोसी देशों के लिए उपग्रहों के विकास का अनुरोध किया, ताकि भारत के अनुसंधान का लाभ उन्हें भी मिल सके, जिनके पास संसाधन व सामथ्र्य का अभाव है. पड़ोसी देशों के साथ बेहतर संबंध बनाने की दिशा में यह एक बड़ी पहल है. विश्व में व्याप्त  युद्धों व तनावों की ओर संकेत करते हुए अमेरिकी अंतरिक्ष यान अपोलो-14 के यात्री एडगर मिशेल ने कहा था कि चांद से देखने पर अंतरराष्ट्रीय राजनीति बहुत तुच्छ प्रतीत होती है और इच्छा होती है कि राजनेताओं को ले जाकर वहां से धरती दिखाऊं. मोदी ने कार्यभार संभालने के साथ ही पड़ोसी देशों के साथ मेल-जोल की नीति पर चलने का इरादा स्पष्ट कर दिया है. हमारे वैज्ञानिकों ने अपनी क्षमता को सिद्ध कर दिया है, उसे राजनीति एक सुंदर आयाम दे सकती है.

Comments

Popular posts from this blog

नियोजित शिक्षक के पक्ष में अभी भी नहीं दिखती सुशासन सरकार  बिहार वन मीडिया/ किरण कुमारी  बिहार में पटना हाइकोर्ट ने पिछले मंगलवार यानि 31 octobar 2017  को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि अब समान काम के लिए समान वेतन लागू होगा। चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन की खंडपीठ ने नियोजित शिक्षकों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि यह फैसला लागू किया जाना चाहिए नहीं तो इसे संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन माना जाएगा। हाइकोर्ट ने नियोजित शिक्षकों की याचिका को सुरक्षित रखते हुए आज इसपर सुनवाई की। कोर्ट ने नियोजित शिक्षकों के समान काम के लिए समान वेतन की याचिका को सही ठहराया है। इस फैसले के बाद शिक्षकों को बड़ी राहत मिलेगी। समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग को लेकर राज्य के नियोजिक शिक्षकों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। मालूम हो कि बिहार के नियोजित शिक्षक अपनी इस मांग को लेकर काफी दिनों से आंदोलनरत थे। कोर्ट के इस फैसले का विभिन्न शिक्षक संघों ने स्वागत करते हुए इसे न्याय की जीत करार दिया है। नियोजित शिक्षकों की ओर से ...
 बिहार के खनन निरीक्षक करोड़ों के मालिक हैं। खनन अफसरों के घर शुक्रवार को हुई छापेमारी में ये बातें सामने आयी। शुक्रवार को बिहार के दो खनन निरीक्षकों के विभिन्न ठिकानों पर आर्थिक अपराध ईकाई की टीम ने छापा मारा। इन दोनों अधिकारियों वीरेंद्र यादव (गोपालगंज) और झकारी राम (शेखपुरा) के यहां से तकरीबन दस करोड़ की संपत्ति मिली है। पटना में झकारी राम के यहां एक करोड़ 64  लाख 34 हजार नकद मिले। इन नोटों को गिनने के लिए स्टेट बैंक से मशीन मंगानी पड़ी।   इस बीच शुक्रवार को ही जब आर्थिक अपराध ईकाई की टीम ने वीरेंद्र यादव के घर और कार्यालय में छापेमारी की तो परत दर परत सारी चीजें ऊपर आने लगी। छापेमारी उनकी कार्याफय, मुजफ्फरपुर स्थित आवास, पैतृक गांव बरियारपुर में की गयी। शुक्रवार की सुबह मुजफ्फरपुर के रामदयालु नगर मुक्तिनाथ मंदिर स्थित तीन मंजिले मकान में अधिकारियों ने छापा मारा। गुरुवार को पटना के आर्थिक अपराध थाने में इनके खिलाफ मामला दर्ज किया था।   अब तक की छापेमारी में लगभग 2 करोड़ की संपत्ति अर्जित करने का खुलासा हो चुका है। वीरेंद्र यादव पिछले कई माह से गोपाल...

समाज का प्रतिदर्पण है साहित्यकार

                                                    समाज का प्रतिदर्पण है साहित्यकार  राम बालक राय /बिहारवन वेब  ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय की अंगीभूत इकाई समस्तीपुर महाविद्यालय समस्तीपुर परिसर में अंग्रेजी विभाग के तत्वाधान में  द एजुकेशन फंक्शन ऑफ़ लिटरेचर विषय पर आयोजित एक दिवसीय शैक्षिक सेमीनार का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता डॉक्टर प्रभात कुमार ने मिथिलांचल के शैक्षिक व साहित्यिक आयाम को मजबूती से रेखांकित करते हुए कहा की अच्छा साहित्यकार व्यक्ति व समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझता है।  वह प्रगतिशीलता की मशाल को हमेशा जलाये रखता है. साहित्यकार के पास सामाजिक विकाश के पक्ष को बल देने हेतु तत्पर रहता है. उनकी अपनी बौद्धिक जिज्ञाषा होती है जिसे वह शब्दो में बाहर लाता है. वे बिना किसी पूर्वाग्रह के समझने की कोशिश करता है। जो  साहित्यकार यह नहीं समझ सका वह समाजोपयोगी कलाकृति का दावा नहीं कर सकता।   किसी ...