नई दिल्ली में विभिन्न मंत्रालयों के सचिवों से मुलाकात करते प्रधानमंत्री |
बिहारवन बयूरो . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बजट की तैयारी के सिलसिले में 18 घंटे का वक्त (तीन बैठकों में) दिया है।वित्त मंत्रालय के तीन विभागों - राजस्व (रेवन्यू), आर्थिक मामलों और खर्च (एक्सपेंडिचर) - के अफसरों ने प्रधानमंत्री के सामने छह-छह घंटे का प्रेजेंटेशन दिया। अधिकारियों ने टैक्स से जुड़ी विभिन्न नीतियों के बारे में प्रधानमंत्री को विस्तार से बताया। बताया जाता है कि प्रधानमंत्री ने टैक्स विशेषज्ञों से सवाल पूछ कर अपनी जानकारी भी दुरुस्त की।
बताया जाता है कि प्रधानमंत्री ने वित्त मंत्री अरुण जेटली को बजट तैयार करने के लिए पूरी आजादी दे रखी है। वित्त मंत्रालय के तीन संयुक्त सचिवों ने मोदी को बजट से संबंधित अपने इनपुट दिए। जानकार बताते हैं कि यूपीए शासन के दस साल में ऐसा कभी नहीं हुआ था।
सामान्यत: बजट बनाने का काम हर साल बजट पेश करने के सात महीने पहले शुरू होता है। बजट निर्माण प्रक्रिया में सामान्यत: पांच स्टेज हैं। प्रथम चरण में बजट की रूपरेखा बनाई जाती है। दूसरे में, इसका दस्तावेज तैयार किया जाता है। तीसरे चरण में इसे संसद में स्वीकृति के लिए लाया जाता है। चौथे चरण में बजट का क्रियान्वयन तथा पांचवे चरण में वित्त कोषों का लेखांकन तथा परीक्षण है।
कौन बनाता और कैसे बनता है बजट
बजट केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों का आइना है। इसके जरिए प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सरकार का एक कोर ग्रुप आर्थिक नीतियां तय करता है। इस कोर ग्रुप में प्रधानमंत्री के अलावा वित्त मंत्री, वित्त मंत्रालय के अधिकारी और योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहते हैं। वित्त मंत्रालय की ओर से प्रशासनिक स्तर पर जो अधिकारी होते हैं उसमें वित्त सचिव के अलावा राजस्व सचिव और व्यय सचिव शामिल होते हैं। यह कोर ग्रुप वित्त मंत्रालय के सलाहकारों के नियमित संपर्क में रहता है। सरकारें अपने हिसाब से इस कोर ग्रुप का ढांचा बदलती भी रहती हैं।
बजट केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों का आइना है। इसके जरिए प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सरकार का एक कोर ग्रुप आर्थिक नीतियां तय करता है। इस कोर ग्रुप में प्रधानमंत्री के अलावा वित्त मंत्री, वित्त मंत्रालय के अधिकारी और योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहते हैं। वित्त मंत्रालय की ओर से प्रशासनिक स्तर पर जो अधिकारी होते हैं उसमें वित्त सचिव के अलावा राजस्व सचिव और व्यय सचिव शामिल होते हैं। यह कोर ग्रुप वित्त मंत्रालय के सलाहकारों के नियमित संपर्क में रहता है। सरकारें अपने हिसाब से इस कोर ग्रुप का ढांचा बदलती भी रहती हैं।
पहला चरण: बजट की रूपरेखा बनाने में योजना आयोग, नियंत्रक महालेखा परीक्षक व प्रशासनिक मंत्रालयों की मदद ली जाती है। प्रत्येक मंत्रालय अपनी आवश्यकताओं की जानकारी वित्त मंत्रालय को देता है। योजना आयोग सरकारी योजनाओं की प्राथमिकताओं से वित्त मंत्री को अवगत कराता है और नियन्त्रण लेखा परीक्षक लेखा-जोखा उपलब्ध कराता है।
योजना आयोग और नियंत्रक लेखा परीक्षक की रिपोर्ट को ध्यान में रखकर बजट बनाने के पहले चरण में व्ययों के अनुमान तैयार किए जाते हैं। इसके बाद मंत्रालय (वित्त मंत्री तथा उनका मंत्रालय) सरकारी आय-व्यय अथवा राजस्व के अनुमान तैयार करता है। वित्त मंत्रालय इनकम टैक्स डिपार्टमेंट, कस्टम ड्यूटी डिपार्टमेंट तथा सेंट्रल एक्साइज डिपार्टमेंट से पिछले वित्त वर्ष में संग्रह की गई राशि के आंकड़ों को आधार बना कर यह अनुमान तैयार करता है। इन आकड़ों के आधार पर सम्भावित आय का अनुमान लगाया जाता है। अब इसी अनुमान के आधार पर टैक्स तय करने (आगामी वर्ष के लिए) का प्रस्ताव तैयार किया जाता है।
दूसरा चरण: बजट बनाने की प्रक्रिया के दूसरे चरण में सभी विभागों की मांगों को मिलाकर वित्तीय परिषद् की बैठक में रखा जाता है तथा निर्णय लिया जाता है। फिर इन्हें दो अलग-अलग भागों - आय और व्यय - में रखा जाता है। यह बजट दस्तावेज कहलाता है। यही दस्तावेज वित्त विधेयक भी कहलाता है। इसे वित्त मंत्री संसद में पेश करते हैं। वित्त विधेयक में नए टैक्सों का लेखा - जोखा होता है। अब बजट स्थायी समिति को सुपुर्द कर दिया जाता है। सदस्यगण इस पर लगभग एक माह तक विचार करते हैं फिर संसद में बजट पर वाद - विवाद होता है। इस बीच संसद में न तो कोई प्रस्ताव पेश किया जाता है और न मतदान कराया जाता है।
बैठकें और समन्वय
बजट पर वित्त मंत्रालय की नियमित बैठकें होती हैं। इनमें वित्त सचिव, राजस्व सचिव, व्यय सचिव, बैंकिंग सचिव, संयुक्त सचिव (बजट) के अलावा केन्द्रीय सीमा एवं उत्पाद शुल्क बोर्ड के अध्यक्ष हिस्सा लेते हैं। वित्त मंत्री को बजट पर मिलने वाले योजनाओं और खर्चों के सुझाव वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग को भेज दिए जाते हैं, जबकि टैक्स से जुड़े सारे सुझाव वित्त मंत्रालय की टैक्स रिसर्च यूनिट (टीआरयू) को भेजे जाते हैं। इस यूनिट का प्रमुख एक संयुक्त सचिव स्तर का अधिकारी होता है। प्रस्तावों और सुझावों के अध्ययन के बाद यह यूनिट कोर ग्रुप को अपनी सिफारिशें भेजती है।
बजट बनाने से सबंधित पूरी प्रक्रिया का समन्वय वित्त मंत्रालय के संयुक्त सचिव स्तर के एक अधिकारी के जिम्मे होता है। बजट के निर्माण से लेकर बैठकों का समय तय करने और बजट की छपाई तक, सब काम इसी अधिकारी के ज़रिए होते हैं।
गोपनीयता
बजट निर्माण की प्रक्रिया को इतना गोपनीय रखा जाता है कि संसद में पेश होने तक इसकी किसी को भनक भी न लगे। वित्त मंत्रालय दो दिन पहले पूरी तरह सील कर दिया जाता है। वित्त मंत्रालय के नार्थ ब्लाक स्थित दफ्तर को बजट पेश होने के कुछ दिनों पहले से एक अघोषित 'क़ैदखाने' में तब्दील कर दिया जाता है। बजट की छपाई से जुड़े कुछ कर्मचारियों को यहां पुलिस व सुरक्षा एजेंसियों के कड़े पहरे में दिन-रात रहना होता है। बजट के दो दिन पहले तो नार्थ ब्लाक में वित्त मंत्रालय का हिस्सा पूरी तरह सील कर दिया जाता है। यह सब वित्त मंत्री के बजट भाषण के पूरा होने और वित्त विधेयक के रखे जाने के बाद ही समाप्त होता है।
बजट निर्माण की प्रक्रिया को इतना गोपनीय रखा जाता है कि संसद में पेश होने तक इसकी किसी को भनक भी न लगे। वित्त मंत्रालय दो दिन पहले पूरी तरह सील कर दिया जाता है। वित्त मंत्रालय के नार्थ ब्लाक स्थित दफ्तर को बजट पेश होने के कुछ दिनों पहले से एक अघोषित 'क़ैदखाने' में तब्दील कर दिया जाता है। बजट की छपाई से जुड़े कुछ कर्मचारियों को यहां पुलिस व सुरक्षा एजेंसियों के कड़े पहरे में दिन-रात रहना होता है। बजट के दो दिन पहले तो नार्थ ब्लाक में वित्त मंत्रालय का हिस्सा पूरी तरह सील कर दिया जाता है। यह सब वित्त मंत्री के बजट भाषण के पूरा होने और वित्त विधेयक के रखे जाने के बाद ही समाप्त होता है।
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