Skip to main content

samastipur news from makish kumar .

upload by neha
मुकेश कुमार, समस्तीपुर : स्वास्थ्य और शिक्षा हमारी प्राथमिक आवश्यकताएं हैं। एक जहां हमारी शारीरिक स्थिति को प्रभावित करता है, वहीं दूसरा मानसिक दक्षता को। पर दुर्भाग्य यह कि इसमें उत्तरोत्तर वृद्धि नहीं हो पाई। कहने को संस्थानों की संख्या तो बढ़ी पर मूलभूत आवश्यकता यथावत रह गई। वैसे भी, 40 वर्षो का अंतराल कुछ कम भी नहीं होता है। पर अपनी स्थापना के इतने वर्षों बाद भी मैं शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में आत्मनिर्भर नहीं हो पाया हूं। यहां न तो मापदंडों के अनुरुप स्कूलों की स्थापना हुई और न मानकों पर कॉलेजों का निर्माण हो पाया। सरकारी आंकड़े भी मेरी इस धारणा को पुष्ट करने के लिए काफी हैं। मेरी धरती पर प्राथमिक व मध्य विद्यालयों की कुल संख्या 2503 है। 6-13 वर्ष के बच्चे की संख्या के अनुपात में अभी भी स्कूलों की स्थापना नहीं हो पायी। आज भी ड्रॉप आउट का दर काफी है। मेरी आत्मा केवल इसलिए दुखी है कि अभी भी 42,685 छात्र स्कूल से बाहर हैं। हायर एजुकेशन की स्थिति भी यहां कम उपेक्षित नहीं है। एक भी कॉलेज यूजीसी के मापदंडों पर खड़ा नहीं उतर पा रहा है। छात्र शिक्षक के अनुपात में भी भारी कमी है। कहीं-कहीं तो एक ही शिक्षक पूरा विभाग संभालते नजर आ रहे हैं। ऐसे में कैसे हमारे नौनिहालों को बेहतर शिक्षा मिल पाएगी। सूबे में जहां 815 कॉलेज हैं, वहीं जिले में 14 कॉलेज है। पर इनमें से कोई भी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के मापदंड पर खड़ा नहीं उतर पा रहा है। गुणात्मक शिक्षा के प्रावधानों के तहत जहां यूजीसी साइंस विषयों में 15 छात्रों पर एक वहीं सोशल साइंस विषयों में 20 पर एक शिक्षक की अवधारणा रखता है। पर अफसोस, जिले के अंगीभूत कॉलेजों में यह स्थिति बिल्कुल ही नहीं है। यूजीसी का कहना है कि 3,000 छात्रों की क्षमता वाले छात्रो के लिए 15 एकड़ जमीन आवश्यक है। यानि 200 छात्र प्रति एकड़। पर यहां ऐसा एक भी महाविद्यालय नहीं है, जो अपने पास इतनी जमीन रखता हो। स्थिति यह कि 11 कट्ठा भूखंड जमीन में भी कॉलेज कार्यरत है। यानि महिला कॉलेज। एक मात्र महिला महाविद्यालय होने के बावजूद इस कॉलेज में होम साइंस की पीजी की पढ़ाई नहीं हो पा रही है। रही बात प्राथमिक शिक्षा की तो। सर्व शिक्षा अभियान और मध्याह्न भोजन की स्थिति भी धीरे-धीरे खराब होती जा रही है। मध्याह्न भोजन योजना की स्थिति तो यहां तक पहुंच गयी है कि मैं सूबे के तीन फिसड्डी जिले में शामिल हो गया। प्राथमिक विद्यालय स्तर पर मैं वर्ष 2010-11 में सिर्फ 31.6 फीसदी बच्चों को ही मध्याह्न भोजन की सुविधा दे पाया। खगड़िया के बाद सूबे का सबसे कम प्रतिशत वाला जिला मैं ही हूं। वैसे डीएम कुल 2518 विद्यालयों में 536095 छात्रों को प्रतिदिन मध्याह्न भोजन योजना से लाभान्वित होने की बात कहते हैं। मेरी धरती पर प्राथमिक व मध्य विद्यालयों की कुल संख्या 2503 है। पर अभी भी 42,685 छात्र स्कूल से बाहर हैं। क्या कहूं स्वास्थ्य की दृष्टि से भी अब मैं लाचार हो चुका हूं। पहले मेरी स्थिति ज्यादा बेहतर थी। जनवरी 11 से सितंबर 11 तक के बीच मेरी धरती के विभिन्न अस्पतालों में 79, 427 मरीज प्रतिदिन पहुंचे। मेरी चिंता से विभागीय आंकड़ा भी कम मेल नहीं खाता। जनवरी 11 से सितंबर 11 के बीच के आंकड़े बताते हैं कि औसतन 7274 मरीज प्रतिदिन ओपीडी में आये। पर मरीजों के बिस्तर का प्रयोग केवल 77 व 11-12 में 84.6 फीसदी हुआ। यानि मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई। पर मुझे सबसे ज्यादा दुख तब हुआ जब मुझे जानकारी मिली कि स्वास्थ्य के लिहाज से मुझे बिहार के सबसे दस अति पिछड़े जिले में शामिल किया गया।

Comments

Popular posts from this blog

रेल मंडल के सभी स्टेशनों से प्रतिदिन लगभग सवा लाख से अधिक यात्री यात्रा करते थे .आज है सुनसान.

ONE NEWS LIVE NETWORK/ SAMASTIPUR रेल मंडल मुख्यालय स्थित समस्तीपु स्टेशन पर प्रतिदिन औसतन 15 हजार यात्री अपने यात्रा का शुभारंभ करते थे। इसमें अधिकांश दैनिक यात्री शामिल हैं। लेकिन लॉकडाउन के कारण फिलहाल यहां यात्रियों की इंट्री पर रोक लगी है। प्लेटफार्म पर सवारी गाड़ी कोच तो लगी है, लेकिन खुलती नहीं है। जिसकी सुरक्षा में आरपीएसएफ को लगाया गया है। प्लेटफार्म पर इन दिनों गश्ती करते हुये आरपीएफ एवं आरपीएसएफ कर्मचारी के अलावे कुछ सफाई कर्मी ही नजर आते हैं।स्टेशन, बस पड़ाव यह नाम सुनते ही लोगों के जेहन में भीड़ भाड़ वाला दृश्य सामने घूमने लगता है। रेलवे स्टेशन एक ऐसा स्थान है, जहां 24 घंटे लोगों का जमघट रहता है। बीच-बीच में ट्रेनों के तेज हार्न एवं यात्रीगण कृपया ध्यान दें, पूछताछ केंद्र से निकली यह आवाज लोगों को अपने गंतव्य स्थान की याद दिलाती रहती है। लेकिन लॉकडाउन के कारण यहां आज वीरानगी छायी हुई है। देश में पहली बार रेलवे के पहिया इस कदर रूक गया कि पिछले 18 दिनों से स्टेशनों पर यात्रियों की इंट्री नहीं हो पायी है। कोरोना वायरस कोविद 19 को लेकर स्टेशन परिसर, प्लेटफार्म, प्रतिक्षालय सभी...

शुकराना समारोह 23 से 25 दिसंबर के बीच

बिहार की राजधानी पटना 350वें प्रकाश पर्व के शुकराना समारोह के लिए सजधज कर तैयार। One News LiveTeam| बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में शुकराना समारोह की तैयारियां  व  इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए श्रद्धालु पटना में पहुंचने शुरु।इस उपलक्ष्य पर पटना साहिब स्थित गुरुद्वारे को दुल्हन की भांति सजाया गया है। शुकराना समारोह 23 से 25 दिसंबर के बीच । श्रद्धालुओं को मूलभूत आवश्यकताएं मुहैया करवाने के लिए राज्य सरकार, पर्यटन विभाग, पुलिस प्रशासन और जिला प्रशासन द्वारा उचित व्यवस्था पूरी कर ली गई है। इस शुकराना समारोह में पटना पहुंचने वाले सिख श्रद्धालुओं के आवासन के लिए टेंट सिटी का निर्माण किया गया है। इसमें बाईपास थाना के पास बने टेंट सिटी में 35,000 श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था की गई है ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानियों का सामना ना करना पड़े। बता दें कि शुक्रवार को पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने बिहार के शहर श्री पटना साहिब में 10वें गुरु गोबिंद सिंह जी के 350वें प्रकाश पर्व के अवसर पर तख्त श्री पटना साहिब गुरुद्वारे में माथा...

गरीब की लड़की का समाजिक सहयोग से धूमधाम से हुई शादी

-- ग्रामीण संस्कृति व गांव के लोगों के बीच का भाईचारा व अपनापन का मिशाल अब भी कायम समस्तीपुर। इक्कीसवीं सदी के इस अर्थ युग का लोगों पर हावी होती जा रही प्रभाव के बीच ग्रामीण संस्कृति व गांव के लोगों के बीच का भाईचारा व अपनापन आज भी मिशाल के रूप में समाज को समझने वालो के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज कराती है। जिले के उजियारपुर प्रखंड के चैता दक्षिणी वार्ड 5 में एक अत्यधिक गरीब व परिस्थिति के मारे व्यक्ति के लड़की की समाजिक सहयोग से धूमधाम से शादी कराकर उसके ससुराल विदा कर लोगों ने एक मिशाल कायम किया। गांव के जिवंत मानवीय मूल्यों की चर्चा क्षेत्र में हो रही है। गरीब के बेटी की शादी में पंचायत व क्षेत्र के कई गणमान्य लोग शामिल हुए तथा लोगों ने अपने स्तर से सहयोग दिए। शादी में डढिया असाधर निवासी सह संभावित जिला परिषद प्रत्याशी राकेश कुमार पप्पू, पूर्व मुखिया सकलदीप राय, सरपंच सुधीर पांडेय, रामकुमार यादव, दिनेश दास, राम अशीष दास, आनंदलाल दास, रामबली दास सहित दर्जनों ग्रामीण व अन्य लोग उपस्थित थे।