भारत की मंगल ग्रह .
इसरो के अध्यक्ष के राधाकृष्णन के मुताबिक यह ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) का 25 वां प्रक्षेपण है. अंतरिक्ष यान अच्छी स्थिति में है. उसने वह काम किया जो उसे दिया गया था. प्रक्षेपण के कुछ घंटे पहले हल्की बूंदाबांदी हुई. इस मौके पर प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री वी नारायणसामी, भारत में अमेरिका की राजदूत नैंसी पावेल, इसरो अध्यक्ष के राधाकृष्णन और अन्य वरिष्ठ अधिकारी और वैज्ञानिक मौजूद थे.
फिर शुरू होगी यात्रा : पहले यह यान पृथ्वी की दीर्घवृत्ताकार कक्षा में 20 से 25 दिन तक चक्कर लगायेगा. इसके बाद यह 30 नवंबर की देर रात (12 बज कर 42 मिनट) पर मंगल की 10 महीने की लंबी यात्रा पर रवाना होगा. इसके लाल ग्रह की कक्षा में 24 सितंबर 2014 को पहुंचने की उम्मीद है. यह करीब 20 करोड. किलोमीटर की लंबी यात्रा करेगा.
अब तक 51 अभियान : पीएसएलवी सी25 के एक्सएल संस्करण से वर्ष 2008 में देश के पहले चंद्र अभियान ‘चंद्रयान एक’ को प्रक्षेपित किया गया था. मंगल ग्रह के लिए एमओएम के अलावा अब तक 51 अभियान हुए हैं, लेकिन 21 ही सफल रहे हैं. इससे पहले यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी, अमेरिका की नासा, रूस की रॉसकॉसमॉस तीन अंतरिक्ष एजेंसियां हैं, जिन्होंने मंगल ग्रह के लिए अपने अभियान भेजे हैं.
यहां से निगरानी : मंगलयान पर नजर रखने के लिए पोर्ट ब्लेयर, बेंगलुरु के नजदीक बायलालू, ब्रुनेई और दक्षिणी प्रशांत महासागर में शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के पोत एससीआइ नालंदा और एससीआइ यमुना को केंद्र बनाया गया है.
स्वदेशी तकनीक : स्वदेशी स्तर पर तैयार पोलर सेटेलाइट लांच व्हीकल (पीएसएलवी) का नया वर्जन, एक्सटेंडेड रॉकेट के साथ मंगलयान को पृथ्वी के आखिरी छोर तक ले जायेगा. यान में पांच वैज्ञानिक उपकरण लगे हैं. इन उपकरणों में लाइमैन अल्फा फोटोमीटर, मीथेन सेंसर फार मार्स, मार्स एक्सोफेरिक न्यूट्रल कंपोजिशन एनालाइजर, मार्स कलर कैमरा और थर्मल इंफ्रारेड इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर शामिल हैं .
नासा का सहयोग : इसरो ने इस अभियान के संदर्भ में नासा के साथ सहयोग किया है, जिसके तहत अमेरिका के गोल्डस्टोन स्थित जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरीज की सुविधा, मैड्रिड (स्पेन) व केनबरा (ऑस्ट्रेलिया) स्थित केंद्रों से अभियान के संदर्भ में संवाद बनाया गया.
अंतरिक्ष में स्थायी शांति बनायें : भारत की ओर से मंगल यान का प्रक्षेपण किये जाने के बीच चीन ने कहा कि बाह्य अंतरिक्ष में शांति सुनिश्चित करने के लिए साझा प्रयास की जरूरत है. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता होंग ली ने कहा, अंतरिक्ष को पूरी मानवता द्वारा साझा किया जाता है. हर देश को अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण अन्वेषण और उपयोग का अधिकार है.
इसरो के अध्यक्ष के राधाकृष्णन के मुताबिक यह ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) का 25 वां प्रक्षेपण है. अंतरिक्ष यान अच्छी स्थिति में है. उसने वह काम किया जो उसे दिया गया था. प्रक्षेपण के कुछ घंटे पहले हल्की बूंदाबांदी हुई. इस मौके पर प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री वी नारायणसामी, भारत में अमेरिका की राजदूत नैंसी पावेल, इसरो अध्यक्ष के राधाकृष्णन और अन्य वरिष्ठ अधिकारी और वैज्ञानिक मौजूद थे.
फिर शुरू होगी यात्रा : पहले यह यान पृथ्वी की दीर्घवृत्ताकार कक्षा में 20 से 25 दिन तक चक्कर लगायेगा. इसके बाद यह 30 नवंबर की देर रात (12 बज कर 42 मिनट) पर मंगल की 10 महीने की लंबी यात्रा पर रवाना होगा. इसके लाल ग्रह की कक्षा में 24 सितंबर 2014 को पहुंचने की उम्मीद है. यह करीब 20 करोड. किलोमीटर की लंबी यात्रा करेगा.
अब तक 51 अभियान : पीएसएलवी सी25 के एक्सएल संस्करण से वर्ष 2008 में देश के पहले चंद्र अभियान ‘चंद्रयान एक’ को प्रक्षेपित किया गया था. मंगल ग्रह के लिए एमओएम के अलावा अब तक 51 अभियान हुए हैं, लेकिन 21 ही सफल रहे हैं. इससे पहले यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी, अमेरिका की नासा, रूस की रॉसकॉसमॉस तीन अंतरिक्ष एजेंसियां हैं, जिन्होंने मंगल ग्रह के लिए अपने अभियान भेजे हैं.
यहां से निगरानी : मंगलयान पर नजर रखने के लिए पोर्ट ब्लेयर, बेंगलुरु के नजदीक बायलालू, ब्रुनेई और दक्षिणी प्रशांत महासागर में शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के पोत एससीआइ नालंदा और एससीआइ यमुना को केंद्र बनाया गया है.
स्वदेशी तकनीक : स्वदेशी स्तर पर तैयार पोलर सेटेलाइट लांच व्हीकल (पीएसएलवी) का नया वर्जन, एक्सटेंडेड रॉकेट के साथ मंगलयान को पृथ्वी के आखिरी छोर तक ले जायेगा. यान में पांच वैज्ञानिक उपकरण लगे हैं. इन उपकरणों में लाइमैन अल्फा फोटोमीटर, मीथेन सेंसर फार मार्स, मार्स एक्सोफेरिक न्यूट्रल कंपोजिशन एनालाइजर, मार्स कलर कैमरा और थर्मल इंफ्रारेड इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर शामिल हैं .
नासा का सहयोग : इसरो ने इस अभियान के संदर्भ में नासा के साथ सहयोग किया है, जिसके तहत अमेरिका के गोल्डस्टोन स्थित जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरीज की सुविधा, मैड्रिड (स्पेन) व केनबरा (ऑस्ट्रेलिया) स्थित केंद्रों से अभियान के संदर्भ में संवाद बनाया गया.
अंतरिक्ष में स्थायी शांति बनायें : भारत की ओर से मंगल यान का प्रक्षेपण किये जाने के बीच चीन ने कहा कि बाह्य अंतरिक्ष में शांति सुनिश्चित करने के लिए साझा प्रयास की जरूरत है. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता होंग ली ने कहा, अंतरिक्ष को पूरी मानवता द्वारा साझा किया जाता है. हर देश को अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण अन्वेषण और उपयोग का अधिकार है.
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