Skip to main content

2.10 करोड़ बच्चों को किताबें

             2.10 करोड़ बच्चों को अब तक किताबें  नहीं मामला पंहुचा कोर्ट 
                      
                 
                पांच माह में कोर्स पूरा कराना शिक्षकों की  होगी  बड़ी चुनौती 
बिहार वन वेबटीम 
रितेश कुमार  
 बिहार  के प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में पढ़ने वाले करीब 2.10 करोड़ बच्चों को नयी किताबें ही मिलेगी. इस साल बच्चों को किताबें खरीदने के लिए किसी तरह की राशि नहीं दी जायेगी.
अगर किताबें खरीदने के लिए राशि देने के लिए केंद्र सरकार अपनी मंजूरी देती है तो अगले साल से इसे शुरू करने पर विचार किया जा सकता है. मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह का दावा है कि सितंबर महीने में स्कूली बच्चों के हाथ में पाठ्य पुस्तकें दे दी जायेंगी, लेकिन अब तक किताबें कौन छापेगा, कैसे जिला व प्रखंड स्तर पर किताबें पहुंचेंगी और फिर कैसे उसे स्कूलों तक ले जाया जायेगा, उस पर अंतिम रूप से कोई निर्णय नहीं लिया गया है. 
ऐसे में अगले महीने से बच्चों को किताबें कैसे मिलेगी, यह सबसे बड़ा सवाल है. सितंबर महीने में ही स्कूली बच्चों का छमाही मूल्यांकन होना है. बिना किताब के ही बच्चों का यह मूल्यांकन हो पायेगा. इसके बावजूद अगर अगले दो महीने में किताबें मिल भी जाती हैं तो शिक्षकों के ऊपर एक साल का पाठ्यक्रम पांच महीने में पूरा कराने की चुनौती होगी. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में लगी राज्य सरकार ऐसे में क्लास एक से आठ तक के बच्चों को कैसे गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा दे सकेगी यह सरकार की चुनौती होगी. 
बिहार टेक्स्ट बुक कॉरपोरेशन करता था किताबों की छपायी
सरकारी स्कूल के बच्चों को किताबें बिहार टेक्स्ट बुक कॉरपोरेशन छपवाकर देता था. इसके लिए हिंदुस्तान पेपर कॉरपोरेशन से कागज खरीदा जाता था, लेकिन इसके बंद होने से कागज लेने में समस्या आयी, जिसकी वजह से अब तक किताबों की छपायी नहीं हो सकी. सरकार ने जो नया प्रावधान किया है, उसमें टेंडर फाइनल होने के बाद एजेंसी को खुद कागज खरीद कर, किताब छपवा कर उसे प्रखंड स्तर तक पहुंचाना होगा. इसके बाद प्रखंड से वहां के स्कूल किताब ले जायेंगे. किताब छपवाने से पहले शिक्षा विभाग पाठ्यपुस्तक का मैटर एजेंसियों व प्रकाशकों को देगा. इसी के आधार पर वे किताब छपवायेंगे.
बैंक एकाउंट में दी जायेगी राशि 
राज्य सरकार को केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने के बाद ही अगले साल से किताबों की जगह बच्चों को राशि दे दी जायेगी. यह राशि पोशाक, छात्रवृत्ति की राशि की तर्ज पर सीधे बच्चों के बैंक खाते में जायेगी. क्लास एक से आठ  के बच्चों को 150 रुपये से 300 रुपये तक की राशि दी जा सकती है.
वहीं, सरकार सभी क्लास के लिए एजेंसियों से किताबें छपवायेगी और एजेंसी को ही जिला व प्रखंड स्तर पर दुकानें खुलवाकर उसे बेचना होगा. हर क्लास की  किताबों के सेट के अनुसार ही बच्चों के खाते में राशि दी जायेगी.

Comments

Popular posts from this blog

युवाओ के प्रेरणास्रोत: स्वामी विवेकानंद को शत शत नमन .  12 जनवरी 2013 स्वामी विवेकानंद की 150 वीं जयंती : राष्ट्रिय युवा दिवस।   युवाओ के सच्चे मार्गदर्शक के रूप में अपने देश को एक देवतुल्य इंसान मिला . इन्हें दार्शनिक , धार्मिक ,स्वप्न दृष्टा  या यो कहे की भारत देश की सांस्कृतिक सभी अवधारणा को समेटने वाले स्वामी विवेकानंद अकेले व असहज इंशान थे .इन्हें एक सच्चा यायावर संयाशी  भी कहा जाता है  हम युवा वर्गे इनकी सच्ची पुष्पांजलि तभी होगी जब हमारे  देश में आपसी द्वेष व गरीबी भाईचारा आदि पर काबू पा लेंगे .हम युवाओ के लिए स्वामी जी हमेशा प्रासंगिक रहेंगे .देश के अन्दर कई जगहों पर इनके नाम पर कई संस्थाए कार्यरत है उनके बिचारो को आम आदमी तक पहुचाने का बीरा हम युवा साथी के कंधो पर है . विश्व के अधिकांश देशों में कोई न कोई दिन युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत में स्वामी विवेकानन्द की जयन्ती , अर्थात १२ जनवरी को प्रतिवर्ष राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ के निर्णयानुसार सन् 1985 ई. को अन्तरराष्ट्रीय युवा वर्ष घोषित किया गया। इसके महत्त्व

lagu ho comman school system mukuchand dube

        साभार जागरण लागू हो सामान्य स्कूली शिक्षा प्रणाली : मुचकुंद दुबे  देश भर में सामान्य स्कूल प्रणाली लागू होने के बाद ही स्कूली शिक्षा में सुधार हो सकता है। उक्त बातें बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ व वालन्ट्री फोरम फार एजुकेशन, बिहार के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए सामान्य स्कूल प्रणाली आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. मुचकुंद दूबे ने पटना में कहीं। गुरुवार को तीन सत्रों में कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। प्रो. दूबे ने कहा कि जब वे सामान्य स्कूल प्रणाली आयोग के अध्यक्ष थे उस समय सरकार के पास जो भी रिपोर्ट सौंपी थी, उसे सरकार ने आगे नहीं बढ़ाया। उस पर काम रुक गया। उन्होंने शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीइ) की आलोचना करते हुए कहा कि इसके लिए जो मानक तय किये गये थे, उसका पालन नहीं हो रहा है। 0-6 व 14-18 वर्ष के बच्चे इन अधिकारों से वंचित ही रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व सांसद सह बिहार माध्यमिक शिक्षा संघ के शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने शिक्षा बचाओ, देश बचाओ का नारा लगाते हुए कहा कि वे अब गिरती शिक्षा व्यवस्था के खिलाफ आंदोलन करेंगे तथा लोगो
‘डीपीएस’ आरके पुरम के प्रिंसिपल डीआर सैनी की बेटी की मौत, सुसाइड की आशंका जनसत्ता   'डीपीएस' आरके पुरम के प्रिंसिपल डीआर सैनी की बेटी की मौत नई दिल्ली। दिल्ली के जाने माने स्कूलों में से एक ‘डीपीएस’ आरके पुरम के प्रिंसिपल डीआर सैनी की बेटी अंजना सैनी की मौत हो गई है। सूत्रों की मानें तो प्रिंसिपल डीआर सैनी की बेटी अंजना का शव स्कूल कैंपस में मौजूद प्रिंसिपल के घर में पंखे से लटका पाया गया है। इस घटना की ख़बर मिलते ही पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। अंजना 29 साल की थी और वह एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करती थी। पुलिस और क्राइम इन्वेस्टिगेशन टीम ने अपनी जांच ज़ोरों से शुरू कर दी है।