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Showing posts from April, 2013
बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने इनके निधन पर क्गाहरा दुःख वयक्त किया है तथा कहा है की उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ  किया जाएगा सादगी की प्रतिमूर्ति बिधन परसाद बसुदेओ बाबु आज हमलोगों से बिछुर गए . बिहार के शिक्षक राजनीती को उन्होंने प्रभावी ढंग से चित्रित किया . आज दिल्ली आस्थित  एअम्स  में  उनका निधन हो गया    
  जानी मानी मीडियाकर्मी जय चंदीराम को   दूरदर्शन की पूर्व उपमहानिदेशक और जानी मानी मीडियाकर्मी जय चंदीराम को इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ वूमन इन रेडियो एंड टेलीविजन (आईएडब्ल्यूआरटी) ने लाइफटाइम .. दूरदर्शन की पूर्व उपमहानिदेशक और जानी मानी मीडियाकर्मी जय चंदीराम को इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ वूमन इन रेडियो एंड टेलीविजन (आईएडब्ल्यूआरटी) ने लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया। जय चंदीराम को यहां उनके भाई के निवास पर यह पुरस्कार प्रदान किया गया। वह कैंसर से पीड़ित हैं। महिला अधिकारियों के लिए अपने योगदान से जाने जानी वाली जय चंदीराम आईएडब्ल्यूआरटी की पहली एशियाई अध्यक्ष रह चुकी हैं। वह कई अहम पदों पर रह चुकी हैं।
‘ ऐसा मालूम होता है कि साहित्य अधिक से अधिक औरतों के क्रिया-कलाप की   चीज हो गयी है।  पुस्तक की दुकानों में ,  किसी सम्मेलन में या लेखकों के सार्वजनिक पठन में और मानविकी के लिए समर्पित विश्वविद्यालय के विभागों में   भी स्त्रियाँ स्पष्ट रूप से पुरुषों से आगे निकल जाती हैं। ’ हो सकता है कि पेरू के प्रख्यात लेखक और वर्ष 2010 के साहित्‍य श्रेणी के नोबेल पुरस्‍कार विजेता मारिओ वर्गास लोसा का यह कथन कुछ लोगों को अतिरंजित अथवा हकीकत से परे लग रहा हो। इसका कारण यह है कि भारतीय समाज की बुनावट पेरू से सर्वथा भिन्‍न है। शैक्षिक ही नहीं अगर हम आर्थिक दृष्टिकोण से भी देखें, तो दोनों समाजों के बीच काफी अंतर देखा जा सकता है। लेकिन जब हम मुद्रित साहित्‍य की दुनिया से निकलकर ऑनलाइन दुनिया में आते हैं, तो मारिओ के इस कथन का मतलब साफ-साफ समझ में आता है। 21 अप्रैल 2003 को आलोक कुमार द्वारा  ‘ नौ दो ग्‍यारह ’  नाम से हिन्‍दी का पहला ब्‍लॉग बनाए जाने के बाद से भले ही किसी और ने इसकी उपयोगिता को समझा हो अथवा नहीं, महिला लेखिकाओं ने इसकी पहुँच को समझने और उसे भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी
मुख्यमंत्री गहलोत ने पत्रकार-साहित्य कोष के लिए अतिरिक्त बजट को दी मंजूरी राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पत्रकार-साहित्यकार कोष तथा कलाकार कोष में राज्य सरकार की ओर से 499.99 लाख रूपये का अंशदान देने के संबंध में अतिरिक्त बजट प्रावधान को स्वीकृति दी है।  राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पत्रकार-साहित्यकार कोष तथा कलाकार कोष में राज्य सरकार की ओर से 499.99 लाख रूपये का अंशदान देने के संबंध में अतिरिक्त बजट प्रावधान को स्वीकृति दी है। श्री गहलोत ने राज्य बजट 2013-14 में पत्रकार-साहित्यकार कोष तथा कलाकार कोष में राज्य सरकार की ओर से 5-5 करोड़ रूपये का अंशदान देने की घोषणा की थी।  साभार जनसत्ता एक्सप्रेस 
की बोर्ड वाली महिला ब्लोगर्स       साभार डॉ जाकिर अली रजनीश  ‘ ऐसा मालूम होता है कि साहित्य अधिक से अधिक औरतों के क्रिया-कलाप की   चीज हो गयी है। पुस्तक की दुकानों में ,  किसी सम्मेलन में या लेखकों के सार्वजनिक पठन में और मानविकी के लिए समर्पित विश्वविद्यालय के विभागों में   भी स्त्रियाँ स्पष्ट रूप से पुरुषों से आगे निकल जाती हैं। ’ हो सकता है कि पेरू के प्रख्यात लेखक और वर्ष 2010 के साहित्‍य श्रेणी के नोबेल पुरस्‍कार विजेता मारिओ वर्गास लोसा का यह कथन कुछ लोगों को अतिरंजित अथवा हकीकत से परे लग रहा हो। इसका कारण यह है कि भारतीय समाज की बुनावट पेरू से सर्वथा भिन्‍न है। शैक्षिक ही नहीं अगर हम आर्थिक दृष्टिकोण से भी देखें, तो दोनों समाजों के बीच काफी अंतर देखा जा सकता है। लेकिन जब हम मुद्रित साहित्‍य की दुनिया से निकलकर ऑनलाइन दुनिया में आते हैं, तो मारिओ के इस कथन का मतलब साफ-साफ समझ में आता है। 21 अप्रैल 2003 को आलोक कुमार द्वारा  ‘ नौ दो ग्‍यारह ’  नाम से हिन्‍दी का पहला ब्‍लॉग बनाए जाने के बाद से भले ही किसी और ने इसकी उपयोगिता को समझा हो अथवा नहीं, महिला लेखिकाओं ने इसकी पहुँच