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*प्रारंभिक विद्यालयों में प्रधान शिक्षक नियुक्ति अधिसूचना के विरुद्ध बिहार पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ ने मुख्यमंत्री, शिक्षामंत्री व विभाग के निदेशक को दिया आवेदन*
समस्तीपुर: दिनांक 04/01/2022
बिहार सरकार द्वारा प्रारंभिक विद्यालयों में प्रधान शिक्षकों की नियुक्ति का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है जिसमें पंचायती राज के अधीन नियुक्त शिक्षकों को बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा में सम्मिलित होने का अवसर प्रदान किया गया है। किंतु शिक्षा विभाग द्वारा निर्गत अधिसूचना के अनुसार प्रक्षैणिक योग्यता D.EI.Ed/B.Ed/BA.Ed/B.SC.Ed/B.L.Ed रखी गई है।
बिहार पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश कार्यकारिणी अध्यक्ष समस्तीपुर के संघीय जिलाध्यक्ष रामचंद्र राय ने कहा_ बिहार सरकार बार-बार शिक्षकों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। इग्नू के माध्यम से 2007_09, 2008_10, 2009_11 और 2010_12 में लगभग दो लाख शिक्षकों को डी.पी.ई सेवाकालीन प्रशिक्षण दिलवाया गया था जिसे एनसीटीई से मान्यता भी प्राप्त था। और डीपीई की मान्यता प्रधान शिक्षक की नियुक्ति में नहीं दिए जाने से कुल साढ़े तीन लाख पंचायती राज के अधीन नियुक्त शिक्षकों में से लगभग दो लाख अनुभवी शिक्षकों को प्रधान शिक्षक की परीक्षा में भाग लेने से वंचित होना पड़ेगा।
वहीं दूसरी ओर अधिसूचना के अनुसार शैक्षणिक अनुभव न्यूनतम 8 वर्ष निर्धारित किया गया है जिसके कारण सैकड़ों योग्य शिक्षकों को परीक्षा में भाग लेने से वंचित होना पड़ेगा।
बिहार सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा जारी अधिसूचना में संशोधन की मांग करते हुए उन्होंने डीपीई सहित सभी तरह के प्रशिक्षित शिक्षकों को परीक्षा में भाग लेने की अनुमति की मांग की है साथ ही 8 वर्ष के न्यूनतम शिक्षक अनुभव को शिथिल करते हुए उसे 5 वर्ष या प्रशिक्षित होने की तिथि से 2 वर्ष रखने की मांग सरकार से की है।
वहीं जिले के संघीय महासचिव सह प्रदेश उपसचिव कुमार गौरव ने कहा सूबे की सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में उल्लिखित उच्चतम उम्र सीमा में सुधार करते हुए इसे शिथिल किया जाना चाहिए साथ ही कंडिका 16 में प्रधान शिक्षक के लिए अस्पष्ट पे स्केल को स्पष्ट रूप से उल्लिखित करना चाहिए।
युवाओ के प्रेरणास्रोत: स्वामी विवेकानंद को शत शत नमन . 12 जनवरी 2013 स्वामी विवेकानंद की 150 वीं जयंती : राष्ट्रिय युवा दिवस। युवाओ के सच्चे मार्गदर्शक के रूप में अपने देश को एक देवतुल्य इंसान मिला . इन्हें दार्शनिक , धार्मिक ,स्वप्न दृष्टा या यो कहे की भारत देश की सांस्कृतिक सभी अवधारणा को समेटने वाले स्वामी विवेकानंद अकेले व असहज इंशान थे .इन्हें एक सच्चा यायावर संयाशी भी कहा जाता है हम युवा वर्गे इनकी सच्ची पुष्पांजलि तभी होगी जब हमारे देश में आपसी द्वेष व गरीबी भाईचारा आदि पर काबू पा लेंगे .हम युवाओ के लिए स्वामी जी हमेशा प्रासंगिक रहेंगे .देश के अन्दर कई जगहों पर इनके नाम पर कई संस्थाए कार्यरत है उनके बिचारो को आम आदमी तक पहुचाने का बीरा हम युवा साथी के कंधो पर है . विश्व के अधिकांश देशों में कोई न कोई दिन युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत में स्वामी विवेकानन्द की जयन्ती , अर्थात १२ जनवरी को प्रतिवर्ष राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ के निर्णयानुसार सन् 1985 ई. को अन्तरराष्ट्रीय युवा वर्ष घोषित किया गया। इसके महत्त्व
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