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3 in 1 hai prof arun kumar [kulpati ]

[दीनानाथ सहनी ] upload   [राम बालक रॉय ]
20 . अगस्त 2012 . 08.15 ऍम

एक कुलपति के जिम्मे तीन यूनिवर्सिटी

Aug 19, 07:46 pm
दीनानाथ साहनी, पटना







कुलाधिपति कार्यालय (राजभवन) प्रो.अरुण कुमार को तीन विश्वविद्यालयों का कुलपति बनाए हुए है। प्रो.कुमार अगस्त 2010 से बीएन मंडल विश्वविद्यालय (मधेपुरा) के स्थायी कुलपति हैं। उनको मई 2011 से मगध विश्वविद्यालय (बोधगया) और जून 2012 से नालंदा खुला विश्वविद्यालय (पटना) के कुलपति पद का भी प्रभार सौंप दिया गया है।
देश में बिहार शायद पहला ऐसा प्रांत है, जहां के तीन विश्वविद्यालयों के कुलपति पद की जिम्मेदारी एक व्यक्ति के कंधे पर है। मजेदार है कि मधेपुरा से बोधगया की दूरी 299 किलोमीटर है, जबकि पटना से बोधगया की दूरी 130 किलोमीटर है। इतनी दूरी पर अवस्थित तीन-तीन विश्वविद्यालयों के प्रशासनिक कार्यो को प्रो.अरुण कुमार किस तरह संभाल रहे हैं, यह उनके अनुभव की बात है। कुलाधिपति कार्यालय इस बारे में कुछ भी नहीं बताता है। ठीक यही स्थिति शिक्षा विभाग की भी है। उच्च शिक्षा की जिम्मेवारी संभाल रहे महकमे के अफसरों का कहना है कि कुलपति की नियुक्ति करना कुलाधिपति कार्यालय की जिम्मेवारी है। इस पर कोई टिप्पणी नहीं की जा सकती है।
असल में यह स्थिति कुलपतियों की नियुक्ति के मसले पर राज्य सरकार और कुलाधिपति कार्यालय के बीच तनातनी से पैदा हुई है। शिक्षा विभाग के एक आला अधिकारी के मुताबिक प्रो. अरुण कुमार के लिए मुश्किल यह है कि वे अपने अधीन के किसी भी विश्वविद्यालय को प्रशासनिक कार्य के लिए पूरा समय नहीं दे पा रहे हैं। उनके लिए न केवल प्रशासनिक समस्याएं हैं बल्कि जरूरतमंद छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों को भी पूरा समय नहीं दे पाते हैं। इतना ही नही, उन्हें राज्य सरकार और कुलाधिपति कार्यालय के बुलावे पर बैठकों में भी आना पड़ता है।
मगध विश्वविद्यालय के एक प्रशासनिक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि जरूरतमंद विद्यार्थियों के अति आवश्यक 'डिग्रियों' और संचिकाओं पर हस्ताक्षर के लिए विशेष दूत संचिका लेकर राजधानी पटना स्थित प्रो.कुमार के आवास पर भी भेजा जाता है। ये वो जरूरतमंद होते हैं, जिन्हें नौकरियों से 'काल लेटर' आता है और फिर डिग्री के लिए भागे-भागे विश्वविद्यालय मुख्यालय में पहुंचते हैं। मगर प्रो.कुमार का इससे इंकार है।



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