‘शिल्पोत्सव 2013’ - सुविधाओं से वंचित लोगों का आर्थिक सशक्तिकरण |
देशभर में समाज के कमजोर वर्गों के कारीगरों का वार्षिक मेला- शिल्पोत्सव 2013 आज नई दिल्ली के दिल्ली हाट में शुरू हुआ। शिल्पियों और उद्यमियों जिनके उत्पाद ‘शिल्पोत्सव’ में प्रदर्शित किये जाएंगे या बेचे जाएगें उन लाभार्थियों में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग वित्त और विकास निगम राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त और विकास निगम, राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त और विकास निगम, राष्ट्रीय विकलांग वित्त और विकास निगम और स्वलीनता, प्रमस्तिष्क, पक्षाघात, मन्दबुद्धि और विभिन्न विकारों से ग्रस्त लोगों के कल्याण का राष्ट्रीय न्यास शामिल हैं। पिछले छ: शिल्पोत्सव मेलों के नतीजे काफी उत्साहवर्धक रहे हैं। शिल्पियों ने अपने उत्पादों के प्रदर्शन और उनको बेचने के लिए स्थान दिये जाने पर प्रसंन्नता व्यक्त की है। इस साल अधिकांश शिल्पियों को अपनी कला के प्रदर्शन और उसे बेचने के अवसर मिल रहे हैं और उन्होने आशा व्यक्त की है कि इस शिल्पोत्सव मेले के दौरान, बड़ी संख्या में सैलानियों, खरीदारों और निर्यातकों से उन्हे अपने उत्पादों को खरीदने के आर्डर मिलेगें। शिल्पोत्सव मेले में नई दिल्ली स्थित सामाजिक रक्षा राष्ट्रीय संस्थान, सिकंदराबाद स्थित मानसिक विकलांग राष्ट्रीय संस्थान, शारीरिक रूप से अशक्त लोगों का नर्इ दिल्ली स्थित डी. डी. यू संस्थान, मुंबई स्थित श्रवण शक्ति में कमजोर लोगों का ए.वाई.जे. राष्ट्रीय संस्थान, कटक स्थित पुनर्वास प्रशिक्षण और अनुसंधान राष्ट्रीय संस्थान, कोलकाता स्थित अस्थि विकलांग राष्ट्रीय संस्थान, नई दिल्ली स्थित डां. अम्बेडकर प्रतिष्ठान और कानपुर स्थित क्रित्रिम अंग निर्माण निगम भी इसमें भाग ले रहे हैं। इस मेले में शामिल प्रदर्शित उत्पादों की श्रेणी में रेशमी साडियां, सिले-सिलाये कपडे, कश्मीरी शॉल/स्टॉल्स, हाथ की कढ़ाई की चीजें, मोतियों से निर्मित वस्तुएं, टाई और डाई, दरियां, कालीन, थैले, गुलाब की लकड़ी, लकड़ी की नक्काशी, लकड़ी के खिलौने, लकड़ी के पुरावशेष्, ब्लॉक रँगाई, बांस और बेंत के उत्पाद, जूट से बनी वस्तुंए, सूखे फूल, बनावटी गहने, मोती, सूखे मेवे, शहद और अलग-अलग किस्म के अचार आदि उत्पाद शामिल हैं। वि.कासोटिया/एम.जैड./पी.सी.-6844 |
युवाओ के प्रेरणास्रोत: स्वामी विवेकानंद को शत शत नमन . 12 जनवरी 2013 स्वामी विवेकानंद की 150 वीं जयंती : राष्ट्रिय युवा दिवस। युवाओ के सच्चे मार्गदर्शक के रूप में अपने देश को एक देवतुल्य इंसान मिला . इन्हें दार्शनिक , धार्मिक ,स्वप्न दृष्टा या यो कहे की भारत देश की सांस्कृतिक सभी अवधारणा को समेटने वाले स्वामी विवेकानंद अकेले व असहज इंशान थे .इन्हें एक सच्चा यायावर संयाशी भी कहा जाता है हम युवा वर्गे इनकी सच्ची पुष्पांजलि तभी होगी जब हमारे देश में आपसी द्वेष व गरीबी भाईचारा आदि पर काबू पा लेंगे .हम युवाओ के लिए स्वामी जी हमेशा प्रासंगिक रहेंगे .देश के अन्दर कई जगहों पर इनके नाम पर कई संस्थाए कार्यरत है उनके बिचारो को आम आदमी तक पहुचाने का बीरा हम युवा साथी के कंधो पर है . विश्व के अधिकांश देशों में कोई न कोई दिन युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत में स्वामी विवेकानन्द की जयन्ती , अर्थात १२ जनवरी को प्रतिवर्ष राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ के निर्णयानुसार सन् 1985 ई. को अन्तरराष्ट्रीय युवा वर्ष घोषित किया गया। इसके महत्त्व
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