शासन और लोक सेवाओं पर चौथा वार्षिक व्याख्यान |
केन्द्रीय कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्यमंत्री श्री वी. नारायणसामी द्वारा आज दिए गए चौथे व्याख्यान का सार निम्न है- ‘महामहिम राष्ट्रपति का इस समारोह में स्वागत करते हुए मैं बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ। महामहिम को शासन और लोक सेवा के क्षेत्र में कई दशकों का अनुभव है। हम सब उनका व्याख्यान सुनने के लिए उत्सुक हैं। राष्ट्रपति जी ने 18 अक्तूबर, 2013 को मसूरी के लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी(एलबीएसएनएए) में अच्छे शासन और लोक सेवा की आवश्यकता और महत्व पर विस्तार से बात की थी और मुझे वह व्याख्यान सुनने का अवसर मिला था। राष्ट्रपति ने अपने भाषण में सरकारी कर्मचारियों के लिए राजनीति से प्रेरित पक्षपात नहीं करने की आवश्यकता पर जोर दिया था। उन्होंने सरकार के साझा लक्ष्यों को हासिल करने को उच्च प्राथमिकता देने पर भी जोर दिया, जिन्हें लैंगिक समानता, शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, समाज कल्याण आदि कार्यक्रमों को दृढ़ता से लागू कर हासिल किया जा सकता हैं। किसी भी सरकार के लिए उचित और कुशल जनसेवाएं सुनिश्चित करने के लिए विशिष्ट कुशलता जरूरी है और शासन इसमें प्रमुख भूमिका निभाता है। इसके लिए उचित मानव संसाधन प्रबंधन जैसे उचित व्यक्तियों की आवश्यक संख्या में उचित समय पर नियुक्ति जरूरी है। नियुक्ति के बाद प्रशिक्षण देना और अनुशासन बनाए रखना महत्वपूर्ण है। इन सब महत्वपूर्ण क्षेत्रों में यूपीएससी के योगदान को नकारा नहीं जा सकता। ग्रुप ए और बी सेवाओं के लिए यूपीएससी के साथ विचार-विमर्श कर नियुक्ति नियम बनाए जाते है। यूपीएससी ग्रुप ए अधिकारियों की नियुक्ति के लिए प्रतियोगी परीक्षाएं आयोजित करता है। मुझे गर्व है कि यूपीएससी विशिष्ट अखिल भारतीय सेवाओं सहित केन्द्र सरकार के लिए बड़ी संख्या में नियुक्ति के लिए बढ़िया कार्य कर रहा है। यूपीएससी, पदोन्नति के जरिए अभ्यर्थी चुनने का महत्वपूर्ण कार्य भी करता है। भ्रष्टाचार से निपटने के लिए आज हमारे शासन तंत्र में कई तरीके हैं। हमने लोक सेवा अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण के दौरान भ्रष्टाचार विरोधी कार्यक्रम शुरू किया है। हमने समयबद्ध सेवाएं प्रदान करने के लिए ‘नागरिक अधिकार’ और उनके शिकायत निवारण विधेयक, 2011 को लोकसभा में पेश कर दिया है और स्थाई समिति ने इस पर सुझाव भी दिए है। हमें उम्मीद है कि ये विधेयक जल्द ही संसद में पास हो जाएगा। मुझे विश्वास है कि ‘शासन और लोकसेवा’ व्याख्यान श्रृंखला के दौरान बुद्धिजीवी और गणमान्य व्यक्तियों द्वारा व्यक्त किए गए विचारों से अच्छे शासन और लोक सेवा प्रदान करने में मदद मिलेगी। मुझे उम्मीद है कि व्याख्यान श्रृंखला के दौरान राजनीतिज्ञ, प्रशासनिक, राजनयिक और वित्तीय क्षेत्र के बहुमुखी प्रतिभावान व्यक्तियों के नए विचार से हम सबको बहुत लाभ होगा। मैं यूपीएससी प्रमुख, सदस्यों तथा इस समारोह की सफलता की शुभकामनाएं देता हूँ। |
युवाओ के प्रेरणास्रोत: स्वामी विवेकानंद को शत शत नमन . 12 जनवरी 2013 स्वामी विवेकानंद की 150 वीं जयंती : राष्ट्रिय युवा दिवस। युवाओ के सच्चे मार्गदर्शक के रूप में अपने देश को एक देवतुल्य इंसान मिला . इन्हें दार्शनिक , धार्मिक ,स्वप्न दृष्टा या यो कहे की भारत देश की सांस्कृतिक सभी अवधारणा को समेटने वाले स्वामी विवेकानंद अकेले व असहज इंशान थे .इन्हें एक सच्चा यायावर संयाशी भी कहा जाता है हम युवा वर्गे इनकी सच्ची पुष्पांजलि तभी होगी जब हमारे देश में आपसी द्वेष व गरीबी भाईचारा आदि पर काबू पा लेंगे .हम युवाओ के लिए स्वामी जी हमेशा प्रासंगिक रहेंगे .देश के अन्दर कई जगहों पर इनके नाम पर कई संस्थाए कार्यरत है उनके बिचारो को आम आदमी तक पहुचाने का बीरा हम युवा साथी के कंधो पर है . विश्व के अधिकांश देशों में कोई न कोई दिन युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत में स्वामी विवेकानन्द की जयन्ती , अर्थात १२ जनवरी को प्रतिवर्ष राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ के निर्णयानुसार सन् 1985 ई. को अन्तरराष्ट्रीय युवा वर्ष घोषित किया गया। इसके महत्त्व
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