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भारत की मंगल यात्रा
पीएसएलवी सी-25
अभियान का पहला चरण पूरा, पृथ्वी की कक्षा में मंगलयान का हुआ प्रवेश
प्रक्षेपण : अपराह्न् 2:38 बजे

लागत : 450 करोड. (मिशन का)

यान का भार : 1350 किलो

लंबाई : 44.5 मीटर

रवानगी : 30 नवंबर की देर रात

कब पहुंचेगा : मंगल की कक्षा में 24 सितंबर 2014 को

खुलेंगे रहस्य

मीथेन सेंसर : गैस मापने के लिए

कंपोजिट एनालिसिस : जिंदगी के लिए वातावरण की तलाश.

फोटोमीटर : हाइड्रोजन, अन्य वस्तुओं की उपलब्धता का अध्ययन

कलर कैमरा : मंगल की धरातल की फोटो भेजेगा

इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर : स्थलाकृति की मैपिंग

देश की शान

दुनिया में धाक : रूस, अमेरिका, जापान व चीन के बाद भारत पांचवां

स्थिति : यह सौर मंडल का दूसरा छोटा ग्रह है, जो बुध से बड.ा है. पृथ्वी के व्यास का आधा. मंगल पर एक साल पृथ्वी के 687 दिनों के बराबर.दिसंबर में जीएसएलवी

इसरो के मार्स आर्बिटर मिशन (एमओएम) के सफल प्रक्षेपण के बीच 15 दिसंबर को स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन युक्त जीएसएलवी के उड.ान परीक्षण की तैयारियां जोरों पर हैं, जो भारत को प्रक्षेपण क्षमता में आत्मनिर्भर बनाने में अहम कदम होगा.आगे चुनौतियां ही चुनौतियां

मार्स आर्बिटर मिशन का सफल प्रक्षेपण देश के पहले अंतर ग्रह अभियान की कहानी का एक महज एक हिस्सा है. इसरो अब दो तिथियों पर ध्यान केंद्रित किये हुए है, पहली दिसंबर जब एमओएम अंतरिक्ष यान पृथ्वी के प्रभाव से बाहर चला जायेगा और दूसरी अगले वर्ष 24 सितंबर जब वह मंगल की कक्षा में प्रवेश कर जायेगा.

18 को मावेन : अमेरिका ने भी फ्लोरिडा से 18 नवंबर को नासा के मल्टी कॉरपोरेशन मिशन ‘मावेन’ का प्रक्षेपण करने का कार्यक्रम बनाया है जो मंगल के वायुमंडल पर बदलाव का अध्ययन करेगा.एजेंसियां, श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश)

ध्रुवीय रॉकेट के माध्यम से भारत ने मंगलवार को सफलतापूर्वक अपना पहला मार्स आर्बिटर मिशन (एमओएम) प्रक्षेपित किया, जिसके बाद ‘मंगलयान’ विधिपूर्वक पृथ्वी की नियत कक्षा में प्रवेश कर गया. रॉकेट ने दक्षिण अमेरिका के ऊपर उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश कराया. इसके साथ ही भारत का नाम अंतर ग्रह अभियान से जुडे. चुनिंदा देशों में शामिल हो गया. इसरो का पीएसएलवी सी 25 यान ‘मंगलयान’ को अपराह्न् 3.22 बजे पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश कराने में सफल रहा. इस तरह 450 करोड. रुपये के अभियान का पहला चरण संपत्र हो गया. इसका ऐतिहासिक प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा से दोपहर 2 बज कर 38 मिनट पर सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से किया गया. इस अभियान का उद्देश्य देश की मंगल ग्रह पर पहुंचने की क्षमता स्थापित करना और मंगल पर मीथेन की मौजूदगी पर ध्यान केंद्रित करना है जो मंगल पर जीवन का संकेत देता है.

मैं समस्त इसरो परिवार को बधाई देता हूं, जिन्होंने बेहद कम वक्त में यह मुमकिन कर दिखाया. डॉ. राधाकृष्णन, निदेशक, इसरो

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